Food to eat in Breast Cancer- स्तन कैंसर में लिया जाने वाला भोजन

   'स्तन कैंसर में लिया जाने वाला भोजन


भोजन हमारी जीवनशैली में एक अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। तश्तरी पर परोसे गए व्यंजन मूलतः हमारे 'निर्माण खण्ड' की भांति आचरण करते हैं। जब शरीर किसी जानलेवा बीमारी से जूझ रहा हो, तो उसकी देखरेख का पहला दारोमदार खानपान के कंधों पर ही आता है। भारत जैसे विकासशील देश जहाँ कुपोषण की समस्या एक आम बात है वहाँ शारीरिक संरचना, ज़रूरत, क्षमता आदि के अनुरूप भोजन मिलना सुलभ नहीं।


 अगर बात करें महिलाओं के सबसे बड़े दुःस्वप्न यानि 'स्तन कैंसर' की तो भले ही ये बीमारी आजकल हम सब परिचित  हैं परन्तु इसका 'शिकार' बनने से बचने के लिए कैसा भोजन दिया जाए या उससे जूझने वालों के लिए कैसा खानपान सुनिश्चित हो, इस तथ्य पर जनसाधारण की अनभिज्ञता  प्रमाणित है। 


स्तन कैंसर का मूलभूत कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है। उम्र के साथ बढ़ने वाले इस खतरे में ऐसा देखा गया है कि स्तन की कोशिकाएं इससे प्रभावित होती हैं और गांठ जैसे प्रक्षेपण से अंदर विकसित हो रहे ट्यूमर को महसूस किया जा सकता है।

food to eat in breast cancer ichhori.webp



स्तन कैंसर को बढ़ावा देते कारक:-

  1. अनियमित जीवनशैली 
  2. वजन का बढ़ा होना
  3. हार्मोनल बदलाव
  4. उष्मांक का प्रचुरता से सेवन 


स्तन कैंसर के कुछ सामान्य लक्षण:-

  1. स्तनों के आकार में परिवर्तन 
  2. त्वचा का लाल होना (स्तन की)
  3. निपल्स पर दाने
  4. बगलों व स्तन में दर्द महसूस होना ( जब मासिक धर्म न चल रहा हो तब भी)
  5. स्तन में गांठ या मस्सा 
  6. सूजन( स्तनों के किसी हिस्से पर)


डब्ल्यूएचओ के मुताबिक छह में से एक मौत ( किसी भी रोग) कैंसर से होती है और पंजीकृत मामलों में स्तन कैंसर के 2.09 मिलियन मामले थे।

 इस भयावह रोग से जुड़े कुछ भ्रम:-

  • डियोड्रेंट जैसे रसायन के प्रयोग से स्तन कैंसर की समस्या होती है ऐसा माना जाता है। किन्तु राष्ट्रीय कैंसर संस्थान ने इसकी पुष्टि नहीं की है।
  • कैंसर हमेशा जानलेवा होता है ऐसा आमतौर पर माना जाता है। परन्तु चिकित्सा के क्षेत्र में हुई प्रगति ने उम्मीद की किरण को जीवित रखा है। सही समय पर इस रोग की पहचान जीवन बचाने में उपयोगी सिद्ध होती है।
  • स्तन कैंसर सिर्फ महिलाओं तक ही सीमित है अमूमन ये माना जाता है। पर स्तन कैंसर की आशंका पुरुषों में भी होती है लेकिन महिलाओं के मुकाबले मामले बहुत कम हैं।
  • कुछ ये भी मानते हैं कि यह एक संक्रामक रोग है। परन्तु सच्चाई इसके विपरीत है। स्तनों में कोशिकाओं का अनियंत्रित बढ़ना इस बीमारी का प्रमुख कारण है। कोई भी इसे किसी दूसरे के शरीर में डाल नहीं सकता या फैला नहीं सकता।
  • O,IA, IB,IIA,IIB,IIIA,IIIB,IIIC,IV वर्गों में बंटे हुए स्तन कैंसर का आखरी चरण जानलेवा सिद्ध होता है। अतः महिलाओं के लिए यह अत्यंत आवश्यक है कि शुरुआत के लक्षणों से परिचित रहें तथा परामर्श लेने से ना चूकें। इस गंभीर विषय पर कोताही दिग्भ्रमित कर सकती है जो अंततोगत्वा भयावह परिणाम की ओर अग्रसर करेगा।


स्तन कैंसर से पीड़ित को कैसा भोजन करना चाहिए या इससे बचे रहने के लिए जीवनशैली में किस प्रकार के भोजन की मात्रा होनी चाहिए, यह एक ऐसा विषय है जिसे लोग अमूमन गंभीरता से नहीं लेते। हर आठ में से एक महिला भारत में इस दर्दनाक रोग की शिकार है। अतः इस विषय पर खुल कर परिचर्चा करना आवश्यक है जिससे जागरूकता की बयार का प्रस्फुटन हो सके। इस बीमारी से जूझ रही पीड़िता को निम्नलिखित खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए:


1. सोयाबीन 

सोयाबीन शरीर में कैंसर को पनपने से रोकता है। इसके सेवन से कैंसर निरोधक क्षमता का विस्तार होता है।


2. वसा की मात्रा जिसमें कम हो वैसा दूध

थर्ड एक्सपर्ट रिपोर्ट के अनुसार दूध संबंधी पदार्थों का सेवन अच्छा है अगर उनमें कैल्शियम की मात्रा प्रचुर हो। इससे रजोनिवृत्ति से पूर्व होने वाले कैंसर का खतरा टला रहता है।


3.फाइबर युक्त भोजन 

फाइबर युक्त फल व सब्जियों का प्रयोग करने से स्तन कैंसर का खतरा कम हो जाता है। उदाहरणस्वरूप बीन्स, फूलगोभी आदि का प्रयोग एस्ट्रोजन हार्मोन के उच्च स्तर को कम करता है जिसका उल्लेख पत्रिका 'पीडियाट्रिक्स' में मिलता है।


4. प्रोटीन युक्त व्यंजन

मसूर व खेसारी जैसी दालों का प्रयोग कैंसर के खतरे को टालने में कारगर है।यहाँ विटामिन बी,आयरन व कैल्शियम का अच्छा स्रोत मिलता है।


5. अंगूर 

कैंसर के कणों का उत्पादन रोकने में मदद करता है।


6. अलसी

ओमेगा-3 फैटी एसिड अलसी के बीज में पाया जाता है जो ट्यूमर को घटाता है। एक शोध के ज़रिए यह बात स्पष्ट की गई कि अलसी की एलसीके-1108 वैरायटी का सेवन स्तन कैंसर के प्रसार को रोकता है।


7.सेब

सेब में पॉलीफेनॉल पाया जाता है जिसमें एंटी कैंसर गुण होते हैं। विटामिन सी भी सेब में पाया जाता है जो एंटी-ऑक्सीडेंट की तरह काम करता है जो प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।


किन चीज़ों का सेवन ना करें:-


  • अधपका भोजन ( जैसे सुशी)
  • धूम्रपान का
  • मिठाईयों का प्रयोग 
  • शराब का
  • रेड मीट/ प्रोसेस्ड मीट का


रोजमर्रा की जिंदगी में कुछ अच्छी आदतें इस भयावह स्थिति को दूर रखने में काफी मददगार होती है। स्तन कैंसर को दूर रखने के लिए नियंत्रित वजन का होना एक महत्वपूर्ण घटक माना गया है। प्रोसेस्ड या 'रेडी टू कुक इन मिनिट्स' के ज़माने में मूलभूत जरूरतों की पूर्ति करता हुआ भोजन जीवनशैली में शामिल करना निश्चित ही एक चुनौती के समान है, किन्तु संभव नहीं। छोटी-छोटी आदतें जैसे नियमित व्यायाम व वसा रहित आहार का सेवन स्तन कैंसर जैसी एक बड़ी चुनौती से बचा सकता है। एक स्वस्थ व सुचारू जीवनशैली के अपने खानपान में इन पदार्थों को शामिल करें:-


  • अनार/अनार का जूस 
  • ग्रीन टी
  • स्ट्रॉबेरी 
  • पत्ता गोभी
  • टमाटर 
  • ब्रोकोली 
  • हल्दी का प्रयोग
  • कद्दू
  • पपीता
  • नारंगी


उपरोक्त दी गई वस्तुओं का नियमित सेवन हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है तथा इस रोग की संभावना को भी टालता है। वो पुरानी कहावत है न, 'स्वास्थ्य धन है'। जी हाँ! इस 'धन' की सुरक्षा हेतु अज्ञानता की मैली चादर को धोने की आवश्यकता है।


 एक महिला सयानापन के शुरुआत से माहवारी, गर्भावस्था और अंत में रजोनिवृत्ति से गुज़रती है।उम्र के हर पड़ाव पर उसके शरीर को एक नई चुनौती मिलती है। अतः उसका भोजन शारीरिक ज़रूरतों से आनुपातिक होना चाहिए। संतुलित आहार ढाल बन कर स्वास्थ्य की रक्षा करता है। 


कैसे रखें पीड़ित का ख्याल:-

1. स्तनों में सूजन व गंध की समस्या इस बीमारी में एक आम बात है। किसी भी महिला के लिए इससे जूझना शारीरिक कष्टों के साथ-साथ मानसिक प्रताड़ना को भी आकर्षित करता है। अतएव पीड़ित को भावनात्मक मजबूती प्रदान करें। आप सुनिश्चित करें कि इस विकट परिस्थिति में परिवार उनके साथ है।


2. तनाव की स्थिति असंतुलित मिज़ाज को भी बढ़ावा देती है। कष्ट झेल रहे व्यक्ति की उद्विग्नता को समझें। आवेश से प्रेरित हो परंतु उत्तर न दें।


3. खानपान विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही निर्धारित करें एवं उससे जुड़ी बारीकियों का ख्याल रखें।


4. औषधियों के प्रयोग से पीड़ित कभी-कभी चिड़चिड़ा तो कभी नींद की कमी से भी जूझ सकता है। इस संदर्भ का विशेष ध्यान रखें।


5. चिकित्सकों से परामर्श लेकर हल्के व्यायाम, टलहना, योग आदि करने में पीड़ितों की मदद करें। इससे उनको मानसिक व शारीरिक लाभ मिलेगा।


स्तन कैंसर सुनने में कितनी भयावह है, इससे एक योद्धा की भांति द्वंद करना उससे कई अधिक कठिन।  हमारे समाज में जहाँ हर छोटी-बड़ी बातों पर एक औरत को आलोचना की कसौटी से गुज़रना पड़ता है वहाँ इस रोग से लड़ने की चुनौती सुरसा के मुख के समान विचार है। इसका 'श्रेय' कुछ सड़ी-गली मानसिकता को जाता है तो कुछ अनभिज्ञता को। हम अगर संवेदनशील रवैया अपना कर पीड़ितों में ऊर्जा का संचार करेंगे तो रास्ते उनके लिए थोड़े कम पथरीले होंगे।

जागरूकता छोटी-छोटी आदतों से झलकती है और भोजन प्रणाली की ओर सजगता एक जानलेवा बीमारी को टालने में कारगर है।  संवेदनशील मन और  पौष्टिक 'थाली' एक स्वस्थ शरीर के मेरुदंड हैं।

Source: Google Search

Reports like Third Expert Report

Rashtriye Cancer Sansthan statements


Previous Post Next Post