Kyu Indian ladies sexless shaadi mein khush rehti hai? - क्यों भारतीय महिलाएं बिना सेक्स की शादी में भी खुश रहती है ?

 क्यों भारतीय महिलाएं बिना सेक्स की शादी में भी खुश रहती है ?

“सेक्स” हमारे समाज में आज भी एक ऐसा विषय माना जाता है | जिसके बारे में बात करना गलत है | इस विषय के बारे में खुलकर बात करना तो दूर अगर कोई महिला इस शब्द को अपनी बातचीत के दौरान भी प्रयोग करती है तो उसे घृणा की दृष्टि से देखा जाता है| हमारे भारतीय समाज में सेक्स एक स्त्री और पुरुष के बीच होने वाला हो क्रियाकलाप है जिसके बारे में अगर आप किसी के सामने अपनी भावनाएं व्यक्त करना चाहते हैं, या फिर कुछ कहना चाहते हैं तो आपको बेहद गंदा और अश्लील व्यक्तित्व वाला माना जा सकता है |



 और विशेष रूप से महिलाओं के लिए तो सेक्स पर बात करना उनकी छवि को खराब करने जैसा होता है | शायद यही वजह है जिससे इस बारे में कोई भी महिला अपने विचार व्यक्त करना तो दूर अपने पार्टनर से भी बात करने में असहज महसूस करती है |

चौंकाने वाले आंकड़े की हैं कि हमारे देश में आज भी 70 से 80% महिलाएं ऐसी है जो अपने वैवाहिक जीवन में अपनी सेक्स लाइफ से संतुष्ट या खुश नहीं है |

और ऐसा होने के बावजूद भी वह अपने जीवनसाथी या किसी डॉक्टर से इसके बारे में खुलकर बात नहीं करती | सेक्स के दौरान होने वाली परेशानियों और अपनी इच्छाओं के बारे में बात करने को गलत मानती है | यह सोच हमारे देश के ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं कि ना होकर शिक्षित महिलाओं की भी है |नौकरी में जो महिलाएं उच्च पद पर कार्यरत है , शिक्षित है | वह भी इस विषय में बात करने से कतराती हैं | क्योंकि सामाजिक दृष्टि से यह विषय खुलकर चर्चा करने का नहीं माना जाता |

शारीरिक संबंधों से विहीन शादी निभाने के कई कारण हो सकते हैं जिनमें से कुछ प्रमुख कारण निम्न है

1.आय के लिए अपने जीवनसाथी पर निर्भर होना

कुछ उदाहरण ऐसे देखने को मिलते हैं , जिनमें महिला अपने जीवन साथी के साथ बनने वाले शारीरिक संबंधों से संतुष्ट नहीं होती या फिर उसे अपने जीवन साथी के साथ शारीरिक संबंध बनाने या सेक्स करने में वो खुशी नहीं मिलती जो  मिलनी चाहिए | लेकिन फिर भी ऐसी शादी से बाहर निकलना  उस महिला के लिए असंभव होता है | क्योंकि भारतीय समाज में आज 70% महिलाएं ऐसी है | जो अपने जीवन यापन के लिए अपने जीवन साथी की आय पर निर्भर  करती है | क्योंकि वह कोई नौकरी नहीं करती या फिर उनके पास अपने जीवन यापन के लिए आय का कोई साधन नहीं है | ऐसी स्थिति में शादी में  रहना उनके लिए मजबूरी बन जाती है |

2.सेक्स महिलाओं के लिए प्राथमिकता नहीं होता

हमारे भारतीय समाज में किसी भी लड़की के विवाह के समय उसे सिर्फ और सिर्फ अपनी आने वाली पारिवारिक जिम्मेदारियों के बारे में सिखाया और समझाया जाता है | किस तरह से उसे अपने नए परिवार के साथ सामंजस्य बिठाना है | उनके रीति रिवाज के अनुकूल अपने आप को बदलना है | और अपने नए परिवार  आवश्यकताओं की पूर्ति करनी है | सिर्फ इसी बारे में सलाह दी जाती है | और उसे पूरी तरह से इन सब के अनुकूल बनने के लिए समझाया जाता है | सेक्स भारतीय समाज की शादी शुदा महिलाओं की प्राथमिकता नहीं है | उनके लिए  सेक्स ऐसा शारीरिक संबंध है जो पूरी तरह से उनके पुरुष साथी की जरूरतों पर निर्भर करता है | सेक्स से संबंधित इच्छाओं को कभी भी भारतीय महिलाएं खुलकर प्रदर्शित नहीं कर सकती|  वह इस बारे में अपने जीवनसाथी से चर्चा नहीं कर सकती क्योंकि इसे जीवन की प्राथमिक आवश्यकताओं में शामिल नहीं करती है |


3.जीवनसाथी की संतुष्टि ज्यादा आवश्यक मानती है

अगर भारतीय महिलाओं की सेक्स लाइफ के बारे में बात की जाए तो उनके लिए शारीरिक संबंधों के दौरान आज भी अपने जीवनसाथी की संतुष्टि और खुशी ज्यादा महत्वपूर्ण या पूर्णतया से महत्वपूर्ण है | एक शादीशुदा भारतीय महिला यह मानकर चलती है कि अगर उसका पति उसके साथ शारीरिक संबंध बना कर संतुष्ट है तो यही उसके लिए खुशी की बात है | भारतीय महिलाओं के लिए यह बात मायने नहीं रखती की शारीरिक संबंधों से उनको खुद को कैसा महसूस होता है |



4.आसान विवाहेतर संबंध ( एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर)

बदलती जीवन शैली में महिलाओं के लिए अपने विवाह के बाहर यानी कि अगर उन्हें अपने जीवन साथी से सेक्स के दौरान संतुष्टि नहीं मिलती है ,तो उनके लिए अन्य किसी व्यक्ति के साथ संबंध बनाना एक आसान विकल्प हो गया है |《क्योंकि महिलाएं अब घर की चारदीवारी के अंदर कैद नहीं है | वह काम के लिए घर से बाहर भी निकलती है और ऐसी स्थिति में अपने जीवनसाथी से संतुष्टि पूर्ण शारीरिक संबंध ना होने के कारण वह अपनी इच्छाएं किसी अन्य के साथ पूरा करती है | और इस तरह की शादी में रहकर भी उन्हें किसी प्रकार की कोई परेशानी महसूस नहीं होती | कुछ स्थितियों में ऐसा भी देखा जाता है परिवार के लिए किसी अन्य सदस्यों के साथ शारीरिक संबंध बन जाने के कारण महिलाओं को अपने जीवन साथी से संतुष्ट ना होने की स्थिति में भी और शादी को निभाएं रखना कष्टदायक नहीं लगता |

5.पारिवारिक जिम्मेदारियों को प्राथमिकता देना

भारतीय समाज में शादीशुदा महिलाओं के लिए अपनी सेक्स लाइफ के बारे में सोचने से ज्यादा जरूरी अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों को प्राथमिकता देना होता है | परिवार के सभी सदस्यों के दैनिक जीवन से संबंधित जरूरतों को पूरा करना | और उनका पालन पोषण करना भारतीय महिलाओं की पहली जिम्मेदारी मानी जाती है | ऐसी स्थिति में महिलाएं का ध्यान अपनी सेक्स लाइफ पर नहीं होता है | इस स्थिति में उनके लिए सेक्स कितना जरूरी है या नहीं यह बात कोई मायने नहीं रखती है |



6.अधिकतर महिलाएं जीवन साथी के साथ सामंजस्य और अपनी सेक्स लाइफ दोनों को लेकर भ्रम की स्थिति में रहती हैं 

इसका मतलब यह हुआ कि भारतीय महिलाओं के लिए अपने जीवन साथी के साथ तालमेल बनाए रखने का अर्थ अपने जीवन में शांति और खुशहाल संबंधों से होता है और इसके लिए शारीरिक संबंधों में मिलने वाली खुशी को नहीं गिना जाता भारतीय महिलाओं के नजरिए से अगर उनकी सेक्स लाइफ अच्छी नहीं है लेकिन उनका जीवन साथी उनके रोजमर्रा के जीवन के लिए सारी सुख सुविधाएं उपलब्ध करवा रहा है तो वह एक अच्छी शादी मानी जाती है और शायद इसीलिए ऐसी शादी में रहने से भारतीय महिलाओं को कोई परहेज नहीं होता

सारांश

भारतीय समाज में शारीरिक संतुष्टि से ज्यादा महत्वपूर्ण होता है, कोई शादीशुदा महिला अपने परिवार को कितनी जिम्मेदारी से निभाती है |अपने बच्चों की कितने अच्छे से परवरिश करती है |

भारतीय समाज में महिलाओं की शारीरिक संबंधों से मिलने वाली संतुष्टि खुशहाल शादी का आधार नहीं मानी जाती | हमारे भारतीय समाज में आज भी पुरुष के लिए शारीरिक संबंधों में संतुष्ट होना आवश्यक माना जाता है |शायद इसलिए क्योंकि भारतीय समाज पुरुष प्रधान समाज है |और सेक्स जैसे विषय पर बात करना महिलाओं के लिए शर्मनाक माना जाता है |

इसके अलावा गर्भावस्था या फिर शारीरिक जिम्मेदारियों के बोझ के कारण महिलाओं के शरीर में होने वाले परिवर्तन, शारीरिक आकर्षण में होने वाली कमी इन सबको असंतुष्ट शारीरिक संबंधों का कारण माना जाता है|¤ और इसीलिए महिलाएं सेक्स लाइफ में खुश ना हो पाने को भी अपनी ही गलती मानती है |¤भारतीय महिलाएं ऐसी सोच रखती है कि अगर उन्हें अपने जीवन साथी से सेक्स के दौरान संतुष्टि नहीं मिल रही है तो इसका कारण उनके स्वयं के अंदर की कोई कमी है | और इसी के चलते इस तरह की शादीशुदा जीवन से उन्हें किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होती | और इस तरह के वैवाहिक संबंधों में रहना भारतीय महिलाओं के लिए चिंता का विषय नहीं होता है |

शायद यही कारण है कि  भारतीय समाज में असंतुष्ट शारीरिक संबंधों के चलते भी महिलाएं पूरी जिंदगी अपनी शादी को खुश होकर निभा लेती है |


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