The difference between postpartum depression and the baby blues/ पोस्टपार्टम डिप्रेशन और बेबी ब्लूज मैं अंतर

The difference between postpartum depression and the baby blues/ पोस्टपार्टम डिप्रेशन और बेबी ब्लूज मैं अंतर 
The difference between postpartum depression and the baby blues/ पोस्टपार्टम डिप्रेशन और बेबी ब्लूज मैं अंतर_ichhori.com

एक बच्चे को जन्म देते समय मां भावनाओं के रोलर कोस्टर से गुजरती है| कभी उसकी भावनाएं अपने बच्चे के प्रति ऊंचाई पर होती है, तो कभी खुद के प्रति लो |गर्भावस्था के शुरुआती चरण से ही आपके मन में अपने बच्चे के प्रति उत्सुकता रहती है ,जैसे जैसे दिन बीतता है और आपका बच्चे से मिलने का समय नजदीक आने लगता है, तब आपके मन में उत्सुकता का स्तर बढ़ जाता है| जब आपकी खुशियां आपकी दुनिया में आ जाती है तब आप खुश तो होते हैं, लेकिन उसकी देखभाल के लिए आपके मन में परेशानी और घबराहट रहती है |
यह खुश और परेशानी की मिश्रित भावना मैं मां का मानसिक स्वास्थ्य ऊपर नीचे होता है| बच्चे के जन्म के बाद आपके हार्मोनल लेवल में भारी बदलाव आता है| एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के स्तर में गिरावट और लो मेटाबॉलिज्म ,इम्यून सिस्टम फंक्शन ओर ब्लड प्रेशर में बदलाव पोस्टपार्टम डिप्रैशन या बेबी ब्लूज को बढ़ा देते हैं|
अधिकतर महिला मे बच्चे के जन्म के बाद बेबी  ब्लूज के कुछ न कुछ लक्षणों का अनुभव करती ही है| बच्चे की देखभाल के दौरान खुद को खोया- खोया सा महसूस करना बहुत ही आम बात होती है |विज्ञान की भाषा में इसे ही बेबी ब्लूज कहते हैं|

बेबी ब्लूज के लक्षण-

•अक्सर नई मां की आंखों में से आंसू आते हैं, यह बच्चे को जन्म देने के कुछ दिनों के बाद जब प्रेगनेंसी के हार्मोन की सक्रियता कम होने लगती है और आपका ब्रेस्ट मिल्क बढ़ रहा होता है तब आपको हर छोटी छोटी बात पर रोने का मन होता है |यह स्थिति बेबी ब्लूस के कारण होती है |इस स्थिति से निपटने के लिए अपने आसपास के माहौल को हल्का रखें |फिर भी यदि आपको किसी बात पर बुरा लग रहा है तो अपने आंसू को रोकने की कोशिश ना करें उन्हें बहने दे|
• नई मां को अक्सर छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आने लगता है |पहले जहां आप आदर्श मां बनने के बारे में सोच रही थी वहीं अब आप खुद को बिल्कुल चिड़चिड़ा महसूस करती हैं| यह इसलिए होता है क्योंकि आपका शरीर काफी बदलावों से गुजरता है| और इस दौरान आपको नींद की भी कमी हो जाती है ऐसे में छोटी-छोटी बातों पर भी आपका टेम्पर हाय हो जाता है| इसलिए जरूरी है कि मातृत्व के शुरुआती दौर में इन सब बातों पर ध्यान न देकर अपने और अपने बच्चे के साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड करें|
• शारीरिक और मानसिक रूप से पूरी तरह से थके हुए होने के बावजूद भी आप बच्चे के कारण पूरी तरह से आराम नहीं कर पाते हैं |ऐसे में जब लगातार स्ट्रेस होने लगता है, तो वह स्ट्रेस आपको सोने नहीं देता है| यह बेबी ब्लूज का सबसे आम अनुभव है |इसे लगभग हर माँ महसूस करती है|
• हम अक्सर अपनी मां को कहते हैं, कि आप बिना वजह चिंता करती हो |मगर जब हम मां बन जाते हैं तो बिना वजह चिंता करना शुरू कर देते हैं |फिर चाहे वह बात चाहे बच्चे की हेल्थ को लेकर हो या बच्चे की फ्यूचर को लेकर हर छोटी छोटी बात की चिंता हो जाती है |इसका भी मुख्य कारण बेबी ब्लूज होता है2 क्योंकि बेबी ब्लूज सबको बिना किसी वजह के चिंतित कर देता है|
• बेबी ब्लूज के कारण  कंसंट्रेशन करने में दिक्कत आती है और आप आसानी से किस चीज पर फोकस नहीं कर पाते |आप छोटी-छोटी बातों को भूलने लगते हैं |तब आपको लगता है कि आप धीरे-धीरे भुलक्कड़ हो रहे हैं |मगर वक्त के साथ यह पर समय चले जाता है और चीजें धीरे-धीरे सामान्य हो जाती हैं2

पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षण

• लगातार उदासी चिंता और दिमाग का सुन्न रहना|
• लगातार मूड का बदलना|
• खुद से ही कुंठा ,निराशा, चिड़चिड़ापन ,बेचैनी, बिना बात के गुस्सा होना|
• खुद को लाचार या असहाय महसूस करना, किसी कारणवश उसको ना काबिल तक समझ लेना|
• आत्म सम्मान में कमी आना|
• अपने आसपास के वातावरण में खालीपन महसूस करना|
• थकान होने के बावजूद आराम करने में असमर्थ हो ना|
• बच्चे की छोटी छोटी बातों से परेशान हो जाना और उसकी देखभाल करने में खुद को असमर्थ महसूस करना|
• निर्णय लेने और सही तरह से सोचने की क्षमता में कमी आ जाना| एकाग्रता और याददाश्त की कमी होना|
• अपनी छोटी सी भी गलती से बच्चे को नुकसान पहुंचा देने का डर मन में बैठ जाना|
पोस्टपार्टम डिप्रैशन और बेबी ब्लूज में क्या अंतर है-
• पोस्टपार्टम डिप्रैशन और बेबी ब्लूज के लक्षण काफी हद तक कुछ  मिलते जुलते होते हैं |मगर पोस्टमार्टम डिप्रेशन के लक्षण काफी मजबूत होते हैं |हालांकि पहली बार मां बनने वाली महिला इस फर्क को आसानी से नहीं समझ पाती है |इसके सबसे आम लक्षण में मूड स्विंग, चिड़चिड़ापन, रोना और उदासीनता शामिल होती है|
• पोस्टपार्टम डिप्रैशन का समय सबसे महत्वपूर्ण लक्षण है |इसका समय जहां बेबी ब्लूज के लक्षण कुछ दिनों के बाद शुरू होकर कुछ हफ्तों तक रहते हैं, वही पोस्टपार्टम डिप्रेशन कुछ हफ्तों के बाद शुरू होकर इलाज के अभाव में महीनों तक रह जाता है|
• बेबी ब्लूज और पोस्टपार्टम डिप्रेशन के बीच का सबसे बड़ा फर्क यह है कि पोस्टपार्टम डिप्रेशन के दौरान आप परेशान होकर आत्महत्या करने के बारे में भी सोच सकते हैं, खुद को नुकसान पहुंचाने के अलावा आप के मन में बच्चे को नुकसान पहुंचाने जैसी बातों का आना पोस्टपार्टम डिप्रेशन का सबसे बड़ा लक्षण होता है|
• बेबी ब्लूज के दौरान आप बच्चे के साथ में किसी भी घटना से थोड़ा बहुत परेशान हो सकते हैं 2मगर पोस्टपार्टम डिप्रेशन के दौरान बच्चों के साथ होने वाली कोई सामान्य से घटना भी आपको बहुत ज्यादा डरा देती है| आपको ऐसा लगता है कि उस समय आपकी सारी गलतियां और आप अच्छी मां होने का फर्ज नहीं निभा पा रहे हैं|
• बेबी ब्लूज के दौरान आप कुछ समय के लिए अपने बच्चे और पति से दूर होते हैं, मगर पोस्टपार्टम डिप्रेशन के दौरान आप अपने साथी और बच्चे के साथ लगाव महसूस नहीं कर पाते हैं |आपकी लाख कोशिशों के बावजूद आपके और आपके पार्टनर के रिश्ते में कुछ परेशानियां आ जाती है|
• एंजायटी पोस्टपार्टम डिप्रेशन का एक महत्वपूर्ण लक्षण है, जो की आपके बच्चे के बिल्कुल सुरक्षित और स्वस्थ रहने के बावजूद आप को दिन के सारे काम करना रात को सोने के से वंचित रखता है |इसके साथ आपको निराशा होने लगती है आप खुद को बेकार और व्यर्थ महसूस करते हैं| यह सोच बिगड़ जाने पर मौत के विचार , मरने की इच्छा में बदल जाती है|
• पोस्टपार्टम डिप्रेशन के दौरान आप उन सारे एक्टिविटी से खुद को दूर कर लेते हैं ,जो कभी आपको बहुत पसंद होती है 2इस दौरान आपको अकेला रहना ज्यादा अच्छा लगने लगता है |

बेबी ब्लूज या पोस्टपार्टम डिप्रेशन से कैसे निपटा जाए-

1- जहां तक हो सके खुद की देखभाल करें पर्याप्त नींद और आहार ले|
2- डिप्रेशन यार बेबी ब्लूज के दौरान कुछ भी करना अच्छा नहीं लगता मगर फिर भी खुद को अपनी हॉबी में व्यस्त रखने की कोशिश करें|
3- घर परिवार या बच्चों के काम के लिए परिवार वाले या  अपने पति की मदद लेने में ना हिचकीचाए|
4- अपनी भावनाओं को किसी के साथ जरूर शेयर करें |क्योंकि यदि आप अपनी भावना किसी के साथ शेयर नहीं करेंगे तो और अधिक तनाव और परेशानी की स्थिति निर्मित हो जाएगी|
5- कभी कभी खुद के लिए भी समय निकालें| मां बनने का मतलब यह नहीं है ,कि आप अपना पूरा समय बच्चे को दे और खुद के लिए समय ना निकालें|
6- जब आपको कुछ काम करने का मन ना हो, तो जबरन किसी काम को करने की कोशिश ना करें |
7- कभी-कभी एकदम रिलैक्स मूड में रहे टीवी देखे, झपकी ले ,शॉपिंग करें या फिर आसपास किसी बगीचे में घूमने निकल जाए इससे आपको अच्छा महसूस होगा|
8- यदि आप वर्किंग वूमेन है, तो मातृत्व अवकाश जरूर ले और जब तक जरूरत लगे तब तक आप पूरी तरह से खुद को स्वस्थ महसूस ना करने लगे| अपनी मैटरनिटी लीव को बढ़ा दें |क्योंकि काम कभी भी आपकी सेहत या आपके बच्चे की जरूरत से ज्यादा नहीं होता|


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