What are the health related changes in women after the age of 60?/ 60 की उम्र के बाद महिलाओ में स्वास्थ्य संबंधी जो बदलाव होते हैं वो क्या है

What are the health related changes in women after the age of 60?/ 60 की उम्र के बाद महिलाओ में स्वास्थ्य संबंधी जो बदलाव होते हैं वो क्या है 

What are the health related changes in women after the age of 60?/ 60 की उम्र के बाद महिलाओ में स्वास्थ्य संबंधी जो बदलाव होते हैं वो क्या है _ichhori.com


उम्र का हिसाब भी गाड़ी की पटरी के तरह है जब तक गाड़ी की देख रेख समय समय पर करते रहते हैं तब तक गाड़ी सुचारू रूप से चलती रहती है उसी प्रकार हमारा शरीर भी एक मशीन है जिसको समय समय पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है वरन् वो गाड़ी की भांति बंद अर्थात नश्वर हो जाएगा क्योंकि समय के साथ पोषक तत्वों में कमी आ गई है जहां पहले वृद्ध युवा की तुलना में अधिक स्फूर्ति और ताजगी नजर आती थी आज वही वृद्ध हो या युवा दोनों के शरीर मानो पतझड़ के मौसम की भांति है थोड़ी सी भी चूक पूरे शरीर के ढांचे को ध्वस्त कर सकती है,
क्योंकि न पहले की तरह अन्न में पोषक तत्वों की मात्रा है न ही पहले की तरह लोग परिश्रम करना पसंद करते हैं जिसकी वजह से लोगों की हड्डिया अपना कैल्शियम को देती है और मसल्स की कमजोरी के कारण शरीर अधिक कार्य नहीं कर पाता और अनेक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का शिकार हो जाता है क्योंकि काम करने या परिश्रम करने से जो पसीना निकलता है वह हमारे स्वास्थ्य को स्वस्थ बनाने के लिए साथ ही हमें अधिक भूख लगती है पाचन क्रिया सक्रिय रहती है मोटापा नही बढ़ता न ही हमारे मसल्स कमजोर होते हैं और हम अधिक सुंदर प्रभावशाली और उत्तेजित नजर आते हैं,
लेकिन आज के पहनावे खान पान से आकर्षित होकर लोग अपने जीवन के साथ जो खिलवाड़ कर रहे हैं वो अत्याधिक घातक है क्योंकि आज न तो खाघ पदार्थों में पोषक तत्व है न ही कोई विटामिन जो हमारे शरीर को सुचारू रूप से चलाने के लिए आवश्यक होते हैं जिसके कारण प्रायः 60 की उम्र होते होते हमारे शरीर में स्वास्थ्य संबंधी बदलाव होते हैं और साथ साथ ही हमारा शरीर अनेकों बीमारी से ग्रस्त रहता है तो सर्वप्रथम यह जानना अति आवश्यक है कि ऐसी कौन-सी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं जो 60 बर्ष के दौरान महिलाओं को प्रभावित करती है तो सर्वप्रथम हर महिला का एक सपना होता है कि वह हमेशा सुंदर लगे लेकिन 60 बर्ष के दौरान यह सोचना ही स्वाभाविक है लेकिन वास्तविकता इसके परे है साथ ही अनेक ऐसी स्वास्थ्य संबंधी परेशानी है जिसका वर्णन यहां किया गया है जो इस प्रकार है -

1.त्वचा परिवर्तन -

अक्सर लोगों की यह तमन्ना होती है कि वह हर उम्र में सुंदर लगे लेकिन यह सोचना स्वाभाविक है पर ऐसा होना असंभव होता है क्योंकि 60  के दौरान त्वचा की पहली दो परतें - एपिडर्मिस और डर्मिस - पतली और चपटी हो जाती हैं साथ ही त्वचा रूखी और काफी खुजलीदार हो जाती है और एक क्रेप पेपर या टिश्यू की तरह दिखती है साथ ही झुर्रियाँ, उम्र के धब्बे, क्रीज और चोट के निशान अधिक दिखाई देने लगते हैं,और इसके साथ ही  पसीने की ग्रंथियां भी कम सक्रिय होती हैं जिस कारण आपकी त्वचा पहले की तरह सुंदर और आकर्षित नहीं दिखती,

2. बहरापन -

सामान्यत हर उम्र में आपका स्वास्थ्य पहले की तरह रहे यह जरूरी नहीं क्योकि समय के साथ हर उम्र में अनेक परिवर्तन आते हैं जो स्वाभाविक है और बिशेषज्ञो का अनुमान है कि 60 के दशक में 10 में से चार अमेरिकि महिलाओ को सुनने में परेशानी हुई और यह उम्र बढ़ने की सबसे आम स्थितियों में से एक है क्योंकि जैसे-जैसे बड़े होते हैं आंतरिक कान में बाल कोशिकाएं स्वाभाविक रूप से मर जाती हैं और कभी कभी संक्रमण, हृदय रोग, स्ट्रोक, सिर में चोट या कुछ दवाएं भी सुनने की क्षमता को खराब कर देती है इसलिए इस उम्र के दौरान आपको कम सुनना या अधिक सुनना बहरापन जैसी समस्याएं हो सकती है जो इस उम्र में एक स्वाभाविक आम स्वास्थ्य सम्बन्धित समस्या है,

3. अवसाद -

हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि उम्र बढ़ने के साथ महिलाएं अवसाद से ग्रस्त हो जाती है लेकिन अनुमानित विवरणों के अनुसार
60 वर्ष और उससे अधिक उम्र की 20 से ज्यादा महिला अवसाद से ग्रस्त है जो किसी भी आयु वर्ग की सबसे कम दर है हां इसका एक कारण आपकी बीमारी भी हो सकती है क्योंकि इस उम्र में अधिकतर पुरूष या महिलाएं अपने स्वास्थ्य के प्रति अधिक चिंतित हो जाते हैं और प्रतिदिन उदास रहने लगते हैं साथ ही उनका खान पान में बदलाव के कारण भी यह समस्या हो सकती है,

4.फ़्लू-

हालांकि कुछ बिशेषज्ञो का मानना है कि 65 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं की प्रतिरक्षा प्रणाली उतनी मजबूत नहीं होती जितनी पहले हुआ करती थी और उन्हें फ्लू से संबंधित समस्याए हो सकती है और उम्र गंभीर फ्लू जैसी
जटिलताओं की संभावना को बढ़ाता है जैसे:
न्यूमोनिया, सेप्सिस और फेफड़े और हृदय रोग का बिगड़ना और साथ ही एक वार्षिक फ्लू शॉट, इसलिए इस उम्र में अधिक सावधानी और केयर की आवश्यकता होती है,

5.भार बढ़ना -

बूढ़ा होना एक अवस्था है जिसे वृद्धावस्था भी कहते हैं क्योंकि उम्र के रूप में मांसपेशियों को खो देते हैं जिससे पाउंड को रेंगने से रोकना मुश्किल हो जाता है और हम पहले की तुलना में कम सक्रिय हो जाते हैं और उसी समय हमारा शरीर उन्हीं शारीरिक गतिविधियों के लिए कम कैलोरी बर्न करता है और बिशेषज्ञो का मानना है कि
अधिक वजन या मोटापे से हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, मधुमेह और स्ट्रोक जैसी कई स्थितियों की संभावना बढ़ जाती है और तो और अतिरिक्त पाउंड वृद्ध लोगों के लिए और भी बड़ा बोझ बन जाता है जिस कारण उन्हे हर दिन चलने में परेशानी होती है,

6.नींद की समस्या -

अधिकतर हम देखते हैं कि महिलाएं जैसै जैसे वृद्ध होती जाती है उन्हें नींद की समस्या आने लगती है लेकिन अध्ययनों से पता चलता है कि ज्यादातर नींद की समस्याएं उम्र बढ़ने से संबंधित नहीं होती हैं बल्कि इसके बजाय, यह चिकित्सा या भावनात्मक स्थितियों से उपजी हो सकती है जो हमारे बड़े होने पर आती हैं क्योंकि बुढ़ापा हमारे सोने-जागने के पैटर्न को भी प्रभावित करता है और यह हमें शाम को जल्दी और सुबह हमें जल्दी जगाता है,और हां बिशेषज्ञ कहते हैं कि यदि आप 50 वर्ष की आयु
के बाद पर्याप्त नींद नहीं लेते हैं, तो आपको स्मृति समस्याएं, दर्द, अवसाद और रात के समय गिरने की
समस्या होने की अधिक संभावना हो सकती है,

7.पोषण संबंधी समस्याएं -

हालांकि उम्र बढ़ने के साथ हमारी पोषण संबंधी जरूरतें बदल जाती हैं और बहुत से लोग खाना भी नहीं खाते हैं
जिसके कारण शरीर में कुछ विटामिन और पोषक तत्वों की आसानी से कमी हो जाती है जिनमें विटामिन बी 12
क्योंकि हम इसे खाद्य पदार्थों से भी अवशोषित नहीं करते है और कैल्शियम जो हमें उम्र बढ़ने के साथ और
अधिक चाहिए होता है वो भी उपर्युक्त मात्रा में नहीं मिलता साथ ही विटामिन डी जिसे हमारी त्वचा धूप से भी सोखती नहीं है और विटामिन बी 6 जो लाल रक्त कोशिकाओं को स्वस्थ और मजबूत रखने के लिए आवश्यक होता है तभी पोषक तत्वों की कमी हो जाती है जिसके कारण हम कमजोर और अनेक बीमारियों से ग्रस्त हो जाते है,
आमतौर पर महिलाओं को किसी भी मल्टीविटामिन की
आवश्यकता होती है जो न्यूनतम दैनिक आवश्यकता प्रदान
करता है क्योंकि महिलाओं को अधिक कठिनाइयों का सामना करना होता है इसलिए उन्हें पोषक तत्वों की मात्रा भरपूर मात्रा में मिलनी चाहिए,

8. नाजुक हड्डियां -

हालांकि बहुत सीनियर्स को गिरना अर्थात आगे क्या होगा कैसे हम अपनी आवश्यकताओं को पूरी करेंगे क्या हमारा शरीर जैसे पहले था वैसा ही रहेगा यह सब का डर है कि आगे बढ़ने वाले वर्ष कैसे हमारे संतुलन को प्रभावित कर सकते हैं और हमें अपने पैरों पर कम स्थिर और सुनिश्चित कर सकते हैं और फॉल्स विशेष रूप से खतरनाक हो सकता है क्योंकि यदि आपको ऑस्टियोपोरोसिस है अर्थात आपकी हड्डियां कम घनी हो जाती हैं तो टूटने और फ्रैक्चर की संभावना अधिक होती है और यदि वे लंबे समय तक जीवित रहती हैं तो लगभग सभी को यह कुछ हद तक हो जाता है, लेकिन 50 वर्ष और उससे अधिक उम्र की महिलाओं में इस "भंगुर हड्डी रोग" के कारण पुरुषो की तुलना में हड्डी टूटने की संभावना अधिक रहती है,
उम्र ढलती रेत है और हमारा शरीर नश्वर जिसकी आयु समय के साथ कम होती जाती है आज हम स्वस्थ हैं पर हमारा शरीर धीरे धीरे अनेक पोषक तत्वों को खो देता है जिस कारण हम पहले की तुलना मैं अधिक कमजोर और असक्रिय हो जाते हैं क्योंकि उम्र के साथ साथ हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है हम पहले की तरह स्वस्थ और तंदुरुस्त नहीं रहते और हमारा शरीर अनेक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहा होता है क्योंकि हर उम्र में शरीर अपनी प्रतिरोधक क्षमता खो देता है।

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