WHAT CAUSES ANGER ISSUES IN TEENS?/ किशोरों में क्रोध का कारण क्या है?

 WHAT CAUSES ANGER ISSUES IN TEENS?/ किशोरों में क्रोध का कारण क्या है?

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टीनएज मतलब किशोरावस्था, एक ऐसा समय जो आपके बचपन और जवानी के बीच के एक पूल के समान होता है | इस समय के दौरान एक व्यक्ति में काफी शारीरिक और मानसिक बदलाव आते है | यह बदलाव एक सामान्य सी बात है जो की हर व्यक्ति इस समय से गुज़रा होता है | इस समय में उन किशोरों में नयी नयी चीजो को जानने और समझने की जिज्ञासा उत्पन्न होती है | लेकिन यह बदलाव किसी किसी के लिए सहज नहीं होते और वो किशोर अपनी किशोरावस्था में किसी मानसिक रोग का भी शिकार बन सकता है | किशोरावस्था में होती मानसिक बिमारिओ के लक्षणों में से एक लक्षण है उस किशोर का बार बार छोटी छोटी बातो पर गुस्सा हो जाना | वैसे क्रोध आना एक सामान्य सी बात है क्योकि यह एक ऐसी भावना है जो की सब मे होती है लेकिन जब एक किशोर किसी मानसिक बीमारी में फस जाता है तो उसके क्रोध की कोई सीमा नहीं रहती | वो हर किसी बात पर गुस्सा हो जाता है चाहे वो बात उससे जुडी हो या हो सके उससे न भी जुडी हो और कभी कभी वह आक्रामक भी हो सकते है | 
किशोरों में होनी वाली इस क्रोध समस्या के वैसे कई कारण हो सकते है जैसे के,’

कम आत्म-सन्मान :-

कई बार यह होता है के कुछ किशोरों को अपने माता पिता से जो सहकार चाहिए होता है वो नहीं मिलता | उसके स्कूल में हो रहे ख़राब प्रदर्शन की बाते दुसरो को बताना, उसकी तुलना उसकी की कक्षा में पढ़ रहे और उससे ज्यादा अच्छा प्रदर्शन कर रहे बच्चो से करना, किसी और के सामने डाटना – फटकारना, उसे सबके सामने नीचा दिखाना, मातापिता और शिक्षको के द्वारा की गयी इन्ही हरकतों की वजह से उन बच्चो में आत्म-सन्मान कम हो जाता है, कुछ किस्सों में जब माता पिता दोनों ही अपने व्यवसाय में व्यस्त होते है और तब बच्चे पर ध्यान नहीं दे पाते और उसे पढाई के लिए स्कूल और ट्यूशन के सहारे छोड़ देते है और उनको उनका मन चाह परिणाम ना मिलने पर वो उस बच्चे को अपराधी बताते है जिससे की वो बच्चा खुद को व्यर्थ समझने लगता है | स्कूल या अपने घरके पास रहते दोस्तों के द्वारा हो रही प्रिताडना की वजह से भी किशोर में आत्मसन्मान का अभाव होने लगता है | इसी आत्मसन्मान के खो जाने की वजह से वो किशोर अपनी बाते किसी और को कह नहीं पाता और वो बाते उसके अन्दर ही अन्दर एक गुस्से का रूप ले लेती है |     
परिवार के भीतर संघर्ष :-
परिवार में झगडे या तनाव के होने से भी किशोर के मन पर बुरा असर पड़ता है और वो मानसिक विकार का शिकार बनता है | पारिवारिक संघर्षो में अगर कोई ऐसा मुख्य संघर्ष है जो किशोर के मन और विचार को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है तो वो है मातापिता के बीच का संघर्ष | पारिवारिक संघर्ष किशोर को कई तरह से प्रभावित कर सकता है और यह मनोवैज्ञानिक रूप से हनिकारक भी हो सकता है | जो किशोर अपने घरो में पारिवारिक संघर्षो से गुज़रते है उनके व्यवहार में आक्रामकता बढ़ जाती है, वह किसी की बात नहीं मानते और सबकी अवज्ञा करते है | किशोर डिप्रेशन जैसे लक्षणों का अनुभव करता है जैसे के अकेला या उदास महसूस करना, वह चिंता की भावनाओ का अनुभव करते है और कुछ किस्सों में वह माता पिता के बीच अपनी वफादारी को विभाजित करने केलिए दबाव भी महसूस कर सकते है  |  पारिवारिक संघर्ष किशोर के मनमे पहले तो एक उदासी और फिर एक आक्रामकता का रूप धर लेते है, वो घर में अपने माता पिता की जिस तरह लड़ते और झगड़ते देखते है बहार जाकर वो अपने आस पास के लोगो से भी वैसे हा ही व्यवहार करने लगते है |   

दर्दनाक घटना :-

अपने जीवन में हुयी किसी दर्दनाक घटना या अकस्मात् से भी किशोर में क्रोध की भावना आ सकती है | दर्दनाक घटनाये जैसे के अकस्मात् हो जाना, अपने माता पिता को खो देना, अपने किसी करीबी की मृत्यु होना, किसी आकस्मिक आपत्ती का सामना होना |  वैसे ये कुछ स्पष्ट नहीं है क्योकि हर किशोर अपने जीवन में घटी किसी अनचाही आकस्मिक और तकलीफदेह घटनाओं में अलग अलग तरह से प्रतिक्रिया देते है | किसी दर्दनाक घटना के बाद किशोर में आये बदलाव, उसका व्यवहार और मनोदशा अगर लम्बे समय तक बनी रहती है और किशोर की जीवन शैली को प्रभावित कर रही है तो यह प्रतिक्रिया अस्वस्थ हो सकती है |  किसी दर्दनाक घटना के शिकार होने से किशोर सदमे का शिकार हो सकता है, उसकी एकाग्रता में कमी और शैक्षणिक प्रदर्शन में गिरावट आ सकती है, वह खुद को अपराधी मानने लगता है, वह सबसे दूरी बनाने लगता है, वह उदास और निराश महसूस करने लगता है और धीरे धीरे यही साड़ी चीज़े मिल कर उसमे चिडचिडापन बढ़ाने लगते है और उसके मिजाज़ में परिवर्तन आने लगता है और ये सारी चीज़े उसके भीतर एक गुस्से को जनम देती है |

मादक द्रव्यों के सेवन :-

मादक द्रव्यों का सेवन पदार्थ के एक पैटर्न का वर्णन करता है जो महत्वपूर्ण समस्याओ या संकट की ओर ले जाता है | कुछ किशोर अपनी समस्याओ के चलते ये सोचने लगते है के मादक द्रव्यों के सेवन से वो उन समस्याओ से दूर रह सकते है लेकिन कुछ किशोर अपनी संगत और नादानी के चलते इन चीजों का सेवन करने लगते है |  किशोरों के द्वारा उपयोग करने में आते पदार्थो में शराब, गांजा, तम्बाकू, ड्रग्स, अफीम, वगेरेह मुख्य है | पहले पहले वो बस मज़े के लिए या ये सोच कर इसका सेवन करते है के वह अपनी साड़ी मानसिक तकलीफों को भुला देंगे, लेकिन फिर ऐसा होता है के वो अपनी हर तकलीफों में इसके सहारे बेठ जाते है |    वह खुद को इसके आदि बना लेते है फिर एक वक़्त जब उनको यह साड़ी चीज़े नहीं मिलती तो वो उग्र मिजाजी हो जाते है, चीजों को फेकने लगते है, उनको शारीरक यातनाये होने लगती है जिससे की वो अपना क्रोध अपने घर के लोगो या दोस्त या रिश्तेदारों पर जताते है और कुछ किस्सों में वो खुद को भी नुक्सान पहोचाने लगते है और आत्म-हत्या जैसे कदम भी उठा लेते है |   
ऐसे कई कारन है जो किशोरों में क्रोध के मुद्दों और अवज्ञा में योगदान करते है  | हर किशोर की भावनात्मक विनियमन क्षमता और परिपक्वता अलग होती है | कुछ किशोरों को अपनी भावनाओ को स्वस्थ रूप से प्रबंधित करने और तनाव से निपटने के तरीके सीखने में अधिक सहायता की आवश्यकता होती है |   कुछ किशोर मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के लक्षणों में तीव्र क्रोध का अनुभव करते है जो की जीवन के किसी आघातजन्य अनुभव या केवल किशोरावस्था के तनाव और दबाव से उत्पन्न होता है |  किशोरावस्था में होती इस क्रोध की समस्या के कई लक्षण  है जैसे के शारीरिक आक्रामकता या हिंसा, माता-पिता, भाई बहनों, दोस्तों के साथ अत्यधिक बहस करना, नियमित रूप से भावनात्मक विस्फोट जिसमे चिल्लाना, चीखना या कोसना शामिल हो सकता है, तर्कहीन सोच और व्यव्हार, चीजों को तोडना, खुद को नुकसान पहोचाना, इन सब लक्षणों से आप जान सकते है के उस किशोर में जो क्रोध है वो कोई सामान्य नहीं है वो हो सकता है को कोई मानसिक रोग का शिकार हो और उसका इलाज बोहोत ज्यादा ज़रूरी है | किशोरों में होती इन क्रोध समस्याओ को रोका जा सकता है, उनको अगर पर्याप्त मार्गदर्शन दिया जाए, उनको उनकी भावनाओ को व्यक्त करने ले किये एक पर्याप्त वातावरण दिया जाए, उनको ये समझ दी जाए के जिस परिवर्तन से वो गुज़र रहे है वो सामान्य है और सब के साथ होता है, उनके साथ प्रेम से रहा जाए, उसने ऊपर अपनी अपेक्षाओ का बोझ न डाला जाये, उन्हें अपने शोख की चीजों को पूरी करने का मौका दिया जाए तो हम उनको इस समस्या ये बचा सकते है और उन्हें एक प्रसन्नतापूर्ण जीवन भेट कर सकते है | 


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