Ovary Cyst ko hatane ke baad waale problem ?- ओवरी की सिस्ट को हटाने के बाद होने वाले दुष्प्रभाव ?

ओवरी की सिस्ट को हटाने के बाद होने वाले दुष्प्रभाव ?

ओवरी महिलाओं के प्रजनन तंत्र का एक महत्वपूर्ण अंग है | प्रत्येक महिला में ओवरी जोड़े में पाई जाती है | यानी के प्रत्येक महिला में दो ओवरी पाई जाती है | ओवरी का प्रमुख कार्य अंडों का उत्पादन करना होता है | इसके अलावा इसमें एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन नाम की दो प्रमुख हार्मोन का उत्पादन भी ओवरी में होता है | अंडों का उत्पादन करने की क्षमता होने के कारण ही ओवरी को अंडाशय भी कहा जाता है




वर्तमान दौर में ओवरी में सिस्ट का बन जाना एक आम समस्या है | लगभग 60 से 70% महिलाओं की ओवरी में सिस्ट आमतौर पर पाई जाती है | ओवरी में सिस्ट का निर्माण कई बार खराब जीवनशैली के कारण भी होता है | लेकिन इसका कोई एक निश्चित कारण नहीं होता है | ओवरी में बनने वाली सिस्ट एक पानी से भरी हुई थैली के समान संरचना होती है | उसका आकार अलग अलग हो सकता है लेकिन सामान्य तौर पर यह बादाम के आकार की होती है |


सिस्ट ओवरी के अंदर या उसकी बाहरी साथ है कहीं पर भी बन सकती है |

शुरुआती दौर में ओवरी में सिस्ट बन जाने के लक्षणों को पहचाना नहीं जाता लेकिन धीरे-धीरे जब इसके लक्षण बढ़ने लगते हैं तो अल्ट्रासाउंड के द्वारा ओवरी में सिस्ट का पता लगाया जा सकता है |

ओवरी में सिस्ट बन जाने पर कुछ प्रमुख लक्षण जो महिलाओं में पाए जाते हैं वह निम्न प्रकार है 

  • पेल्विक क्षेत्र या पेट के निचले हिस्से में  दर्द का होना

  • पेट में भारीपन महसूस होना

  • उबकाई आना 

  • माहवारी के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव होना

  • हार्मोन में असंतुलन होना

अगर ओवरी में बनी हुई सिस्ट का आकार काफी छोटा है तो कई बार कुछ दवाइयों की मदद से भी इसे ठीक किया जा सकता है | लेकिन एक निश्चित आकार से बड़ा होने की स्थिति में सिस्ट का इलाज सिर्फ और सिर्फ सर्जरी के द्वारा किया जाता है | सर्जरी दो प्रकार से हो सकती है 

1. लेप्रोस्कोपी 

2. लेप्रोटोमी

ओवरी सिस्ट की सर्जरी से होने वाले दुष्प्रभाव

  1. कमजोरी महसूस होना

 सर्जरी होने के बाद जो सबसे पहला दुष्प्रभाव एक महिला को महसूस होता है वह है अत्यंत कमजोरी महसूस होना | इससे ओवरी को हटाने वाली सर्जरी के बाद एक महिला अपने शरीर में काफी कमजोरी महसूस करती है |

  1. ठीक होने में लगने वाला समय

 सर्जरी के बाद एक महिला को ठीक होने में लगभग 12 सप्ताह का समय लग जाता है, जो कि अपने आप में एक लंबा समय है | अगर इन 12 सप्ताहों में ठीक तरीके से पोषण युक्त भोजन अथवा आराम की कमी हो तो इसका प्रभाव अधिक समय तक रहता है और ठीक होने में इससे भी ज्यादा लंबा समय लग सकता है |


  1. पेट में सूजन आना

 सर्जरी के बाद ओवरी में होने वाले घाव के कारण पेट पर सूजन आ जाती है जो कि दर्द का कारण भी बन सकती है पेट में आने वाली सूजन की वजह से महिला को उठने बैठने या फिर अपने दैनिक जीवन के काम करने में अतिरिक्त समस्या का सामना करना पड़ सकता है |


  1. पेट में दर्द होना

 यह भी सिस्ट के हटने के बाद पेट में दर्द होना भी एक आम समस्या है इसकी वजह ऑपरेशन के दौरान लगने वाले टांके का सही तरीके से ना होना भी हो सकता है |सर्जरी चाहे लेप्रोस्कोपी हो या फिर लेप्रोटोमी दोनों ही स्थिति में पेट के ऊपर टांके आते हैं और इन आंखों के भरने तक पेट में दर्द होना सामान्य है |

  1. प्रजनन क्षमता पर पड़ने वाला असर 

सिस्ट हटाने वाली सर्जरी के बाद कई बार महिला की प्रजनन क्षमता पर भी असर पड़ सकता है | क्योंकि किसी भी महिला का प्रजनन तंत्र पूरी तरह से उसके हार्मोन की सुचारू कार्यप्रणाली पर निर्भर करता है | और ओवरी यानी  अंडाशय वह अंग है जिसके अंदर एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन का निर्माण होता है|  इस प्रकार कहा जा सकता है कि अगर ओवरी की क्रिया विधि में किसी भी प्रकार की रुकावट या परेशानी आती है तो इसका सीधा सीधा असर महिला की प्रजनन क्षमता यानी कि उसके बच्चे पैदा करने की क्षमता पर पड़ता है |

  1. रक्तस्राव होना

 सर्जरी के ठीक बाद वेजाइना से रक्त का स्राव होना एक सामान्य बात है और इस वजह से एक महिला को काफी असुविधा का सामना करना पड़ सकता है |


  1. यूरिन पास करते वक्त जलन का अनुभव

 सिस्ट के ऑपरेशन के बाद यूरिन पास करते समय जलन का अनुभव होता है ऐसा उस स्थिति में होता है जब ऑपरेशन की या सर्जरी के दौरान किसी कारणवश महिला के ब्लैडर पर भी असर पड़ा हो सही प्रकार से सर्जरी होने की स्थिति में ऐसा नहीं होता है|


  1. माहवारी का अनियमित होना 

ओवरी एक महिला के प्रजनन तंत्र का वह अंग है जिसमें अंडों का निर्माण होता है | और यही पर कुछ विशेष हार्मोन भी बनते हैं इसलिए जैसे ही ओवरी की सर्जरी होती है उसके बाद हार्मोन को वापस अपने स्तर पर पहुंचने में थोड़ा सा समय लगता है | जिसकी वजह से महिला का महावारी चक्र सीधा-सीधा प्रभावित होता है | इस वजह से शुरू के कुछ महीनों में महावारी अनियमित हो सकती है | सिस्ट के हटने के बाद ऐसा हो सकता है कि महिला की माहवारी अनियमित हो जाए | क्योंकि अक्सर सिस्ट बनने के बाद अत्यधिक मात्रा में रक्त स्राव महावारी का अनियमित होना आदि लक्षण पाए जाते हैं | और जैसे ही ओवरी की सर्जरी होती है उसके बाद हारमोन को वापस अपने स्तर पर पहुंचने में थोड़ा सा समय लगता है जिसकी वजह से महिला का महावारी चक्र सीधा-सीधा प्रभावित होता है इस वजह से शुरू के कुछ महीनों में महावारी अनियमित हो सकती है |


सारांश

 यह सत्य है कि ओवरी में बनने वाली सिर्फ एक महिला के लिए काफी कष्टदायक होती है और उसकी सर्जरी के बाद कई प्रकार के दुष्प्रभावों का सामना भी करना पड़ता है | लेकिन ओवरी में सिस्ट का लंबे समय तक बने रहना महिला के स्वास्थ्य के लिए काफी घातक सिद्ध हो सकता है | अगर लंबे समय तक इसके बारे में पता ना चले तो धीरे-धीरे आगे चलकर यह कैंसर भी पैदा कर सकती है| और ऐसी स्थिति में गर्भाशय का कैंसर या ओवरी का कैंसर होना सामान्य बात है |इसीलिए समय रहते ओवरी में होने वाली सिस्ट की जांच करवाना बेहद आवश्यक होता है | अगर सही समय पर सिस्ट का पता चल जाता है तो कई बार सर्जरी की भी आवश्यकता नहीं पड़ती | कुछ बेहद प्रभाव कारी दवाओं के माध्यम से सिस्ट  को अंदर ही अंदर गला कर हटाया जा सकता है |  आकार बड़ा होने पर इसे सर्जरी के द्वारा भी शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है| दोनों ही स्थिति में दुष्प्रभावों का होना सामान्य है |लेकिन अगर उपयुक्त पोषण युक्त भोजन लिया जाए और सही तरीके से देखरेख की जाए तो इन दुष्प्रभावों को भी हम जल्दी ही दूर कर सकते हैं| अतः एक महिला के लिए यह बहुत जरूरी हो जाता है कि वह अपनी माहवारी की साइकल पर सदैव एक नजर रखें| महावारी में होने वाली अनियमितता या फिर महावारी के दौरान होने वाले रक्त स्राव में होने वाली अनियमितता सीधे-सीधे एक महिला के स्वास्थ्य का संकेत होती है |


गर्भनिरोधक दवाओं का उपयोग ना करके भी आप ओवरी में होने वाली सिस्ट से अपने आप को एक हद तक बचा कर रख सकते हैं | क्योंकि अक्सर ऐसा देखा जाता है कि जो महिलाएं एक सीमा से अधिक गर्भनिरोधक दवाओं का उपयोग करती हैं उनमें ओवरी में बनने वाली सिस्ट की आशंका अन्य महिलाओं की तुलना में ज्यादा रहती है |


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