Kya Ovarian Cyst Khatarnaak hoti hai ?- क्या ओवेरियन सिस्ट डेंजरस होती है और इसके होने के कारण क्या है?

 


क्या ओवेरियन सिस्ट डेंजरस होती है और इसके होने के कारण क्या है?

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ओवेरियन सिस्ट क्या है-

महिलाओं मे समय के साथ साथ कई शारीरिक परिवर्तन होते रहते हैं |गर्भाशय जोकि महिलाओं के शरीर का महत्वपूर्ण अंग है ,उसमें भी समय के साथ-साथ कई उतार-चढ़ाव आते हैं |ऐसी महिलाएं जो प्रजनन करने योग्य होती है उन महिलाओं में आजकल अंडाशय के सिस्ट की समस्या विशेष रूप से बढ़ रही है| यह सिस्ट मटर के दाने के जितना छोटा भी हो सकता है या फिर इतना बड़ा हो जाता है की महिला गर्भवती दिखने लग जाए| यह एक प्रकार की मेडिकल कंडीशन है जिसमें ओवरी की सतह पर तरल पदार्थ की एक थैली बनकर तैयार हो जाती है| आमतौर पर ओवेरियन सिस्ट हानिकारक नहीं होती है| ज्यादातर सिस्ट  खुद से बनकर खुद ही खत्म हो जाती है |मगर यदि कई बार यह ठीक नहीं हो पाती है तो काफी परेशानियां पैदा होती है|

ओवेरियन सिस्ट का स्वरूप- ओवेरियन सिस्ट तरल पदार्थ के भरे हुए थेले के जैसे होता है ,जो अंडाशय के भीतरि या बाहरी सतह पर हो जाता है| ओवुलेशन के समय यह तरल पदार्थ से भरी थैली स्वत ही नष्ट हो जाते हैं |

ओवेरियन सिस्ट के लक्षण-

•ब्लोटिंग- बदलते खानपान के कारण हम में से कई लोग को अक्सर ब्लोटिंग का सामना करना पड़ता है| मगर यदि पेट हर समय फूला हुआ रहे तो इसे नजरअंदाज ना करें क्योंकि यह सिस्ट का एक लक्षण हो सकता है|

•कम खाने पर भी जल्दी पेट भर जाना- कई बार थोड़ा सा खाने के बाद भी पेट भारी-भारी सा लगने लगता है| ऐसा कई बार बदले मौसम के कारण कम भूख लगने से हो सकता है| मगर यदि रोजाना ही थोड़ा बहुत खाने पर पेट भरा भरा सा लगे तो आप एक बार टेस्ट जरूर करा ले|

•यूरिनरी प्रॉब्लम- बार बार यूरिन पास करने की इच्छा होना, यूरिन करते वक्त जलन या दर्द महसूस होना कई बार ब्लड का रेशा पास हो जाना यह सब यूट्रस में सिस्ट होने के लक्षण है|

पेट के निचले हिस्से और पीठ में दर्द- कई बार महिलाओं को सिस्ट के कारण पेल्विक एरिया और पीठ में दर्द होता है|

•वजन का अनियमित बढ़ना- बिना किसी खास वजह के यदि आपका वजन अनियमित रूप से बढ़ने लगे तो यह भी सिस्ट का एक लक्षण हो सकता है|

•अनचाहे बालों का बढ़ना- सिस्ट की समस्या के दौरान शरीर में अवांछनीय जगह पर बालों की ग्रोथ शुरू हो जाती है |

इसके साथ साथ अनियमित पीरियड पीसीओसी नामक बीमारी के लक्षणों के साथ सिस्ट के लक्षण काफी मिलते-जुलते हैं|

 सिस्ट होने का कारण- 

1- हार्मोनल इनबैलेंस -अंडाशय में गांठ होने का प्रमुख कारण हार्मोन इनबैलेंस होता है| फंक्शनल सिस्ट या कार्यात्मक सिस्ट जो आम को तौर पर बिना किसी खास इलाज के अपने आप खत्म हो जाते हैं, यह सब हार्मोनल इनबैलेंस के कारण होता है| कई बार हार्मोनल इंबैलेंस ओव्युलेट करने की दवाओं के कारण भी होते हैं|

2- एंडोमेट्रियोसिस- एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित महिलाओं में एक प्रकार का ओवेरियन सिस्ट विकसित होता है, जिसे एंडोमेट्रियोमा कहा जाता है| इसके उत्तक ओवरी से जुड़कर सिस्ट का निर्माण करते हैं| सेक्स और पीरियड्स में इस प्रकार के सिस्ट काफी दर्दनाक होते हैं|

3- गर्भावस्था- गर्भावस्था के प्रारंभिक स्थिति में ओवेरियन सिस्ट गर्भावस्था को समर्थन देने के लिए विकसित होता है| यह तब तक रहता है जब तक की नाल नहीं बन जाती |मगर कभी-कभी गर्भावस्था के बाद भी यह सिस्ट ओवरि के ऊपर रह जाता है और उसे निकालने के लिए सर्जरी की आवश्यकता होती है|

4- गंभीर पेल्विक संक्रमण- कभी-कभी गंभीर किस्म का यूरिन संक्रमण या इंफेक्शन ओवरी और फेलोपियन ट्यूब में फैल जाता है| जिसके कारण ओवरी में सिस्ट का निर्माण होता है|

यदि महिलाएं ओवरी सिस्ट के लक्षणों को महसूस करें तो उन्हें अपने आहार में उच्च फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों को बढ़ा लेना चाहिए, जिससे कि शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन का अवशोषण कम होने लगता है और ओवेरियन सिस्ट की संभावना कम हो जाती है| उच्च फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ में नाशपाती ,संतरे, दाल ,मटर ,नारियल सब्जियों का सूप आदि आता है| एक अध्ययन के अनुसार लगभग हर प्रजनन योग्य महिलाओं को अपने जीवन में कम से कम एक बार तो सिस्ट का सामना करना ही पड़ता है| यदि आप के शरीर में भी उपरोक्त में से कोई एक या अधिक लक्षण नजर आ रहे हैं तो बिना देर किए अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर ले| आपका डॉक्टर नियमित पेल्विक परीक्षण के दौरान एक ओवेरियन सिस्ट का पता लगा सकता है |यदि आप के अंडाशय में सूजन होगी तो डॉक्टर आपको अल्ट्रासाउंड परीक्षण (सोनोग्राफी) कराने का भी सजेशन दे सकते हैं |सोनोग्राफी के जरिए सिस्ट का आकार, स्थान, उसका प्रकार (ठोस या तरल  पदार्थ से बना है) आदि का निर्धारण करना आसान हो जाता है|

सामान्य रुप से ओवेरियन सिस्ट काफी छोटे होते हैं और इनके कारण कोई परेशानी महसूस नहीं होती है| और यह कुछ समय बाद स्वत ही नष्ट हो जाते हैं| मगर यदि यह टूट जाए तो गंभीर लक्षण पैदा कर देते हैं| जिसके कारण कई बार ओवरी निकालने की कंडीशन भी बन जाती है |

कभी-कभी सिस्ट का विकास रिप्रोडक्टिव पीरियड के दौरान होता है और अगले पीरियड्स आने तक वह नष्ट हो जाते हैं| मगर यदि किसी कारण से यह नष्ट ना हो तो इन्हें नजरअंदाज करने से ओवेरियन कैंसर भी होता है| हालांकि कई सिस्ट कैंसर का रूप नहीं लेते हैं, लेकिन कुछ मामलों में ऐसा संभव है| ओवेरियन कैंसर की खास बात यह है कि इसके लक्षण और सिस्ट के लक्षण काफी मिलते-जुलते हैं |जिसके कारण काफी समय तक ओवेरियन कैंसर डिटेक्ट नहीं हो पाता है- सही जांच और परीक्षण के द्वारा ही ओवेरियन कैंसर का पता चलता है |इसलिए जरूरी है की इनके लक्षणों को नजरअंदाज ना करें और नियमित रूप से अपने डॉक्टर से परामर्श लेते रहें|

सिस्ट का  इलाज-

आपके सिस्ट के आकार और संख्या को ध्यान में रखते हुए डॉ वेट एंड वॉच को अपनाकर आपको कुछ हार्मोनल पिल्स जैसे कि गर्भनिरोधक गोलियां खाने की सलाह देते हैं| हालांकि यह गोलियां सिस्ट के आकार को कम नहीं करती है लेकिन नए सिरे से सिस्ट का निर्माण होने नहीं देती है जिसके कारण समय के साथ  सिस्ट खत्म ही जाते है| इसके अलावा इन गोलियों से ओवेरियन कैंसर होने का खतरा भी कम हो जाता है| आमतौर पर ओवेरियन कैंसर उन महिलाओं को होता है जो प्रजनन  की उम्र पार कर चुकी है और उनकी रजोनिवृत्ति हो गई है|

मगर यदि सिस्ट का आकार और संख्या एबनॉर्मल है जिनके लिए डॉक्टर इंतजार नहीं कर सकता है तो उन के पास सर्जरी के अलावा कोई और दूसरा ऑप्शन नहीं बचता है |ओवेरियन सिस्ट को नष्ट करने के लिए दो प्रकार की सर्जरी की जाती है|

लेप्रोस्कोपी सर्जरी- यदि अंडाशय की गांठ छोटी है तो उसे निकालने के लिए लेप्रोस्कोपी सर्जरी का सहारा लिया जाता है |साथ ही यह भी किसी गर्भवती महिलाओं को सिस्ट डिडक्ट होता है तो उसे निकालने के लिए भी लेप्रोस्कोपी सर्जरी की मदद ली जाती है|

लेप्रोटोमी सर्जरी- यदि गर्भाशय की गठान का आकार बड़ा होता है तो उसी लेप्रोटोमी सर्जरी के माध्यम से पेट की नाभि के पास चीरा लगाकर  निकाला जाता है|

यदि महिला गर्भवती है तो डॉक्टर बिना कोई चांस लिए सर्जरी के द्वारा ओवरी की गठान को निकाल देता है ,क्योंकि प्रसव के दौरान इन गठानो  से परेशानी पैदा हो जाती है|

डॉक्टरी इलाज के साथ-साथ कैट -पोज ,बटरफ्लाई, चक्कीचलासन, सूर्य नमस्कार आदि योगासन सिस्ट मैं काफी कारगर सिद्ध होते हैं| यदि यह सभी आसन  करना संभव ना हो,तो पद्मासन और बटरफ्लाई को अपने रूटीन लाइफ का हिस्सा जरूर बनाएं|


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