Ovarian Cyst ke rupture hone ke karan?-ओवेरियन सिस्ट के रैप्चर होने के कारण

 


ओवेरियन सिस्ट के रैप्चर होने के कारण

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आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी के कारण हम में से कई लोग अपने शरीर का बेहतर तरीके से ख्याल नहीं रख पाते हैं |ऐसे में जैसे जैसे हमारी उम्र बढ़ती है हम लोग कई तरह की बीमारी का शिकार बनते जाते हैं |मगर महिलाओं की कुछ ऐसी बीमारियां होती है जो उम्र के साथ नहीं बल्कि किसी भी उम्र की महिला को अपनी चपेट में ले लेती है |

आज हम आपको ऐसी बीमारी के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका कि नाम है-" ओवेरियन सिस्ट" और यह बीमारी छोटी-छोटी बच्चियों से लेकर बड़ी औरतों तक सभी को आसानी से अपनी चपेट में ले लेती है|

ओवरीज महिलाओं के रीप्रोडक्टिव सिस्टम का महत्वपूर्ण हिस्सा है| गर्भाशय के निचले तरफ दोनों ओर  ओवरी होती है जो एग रिलीज और प्रोडक्ट करने के साथ-साथ एस्ट्रोजन और प्रोस्टेरोन  हार्मोन का भी निर्माण करती हैं |यह हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है अतः इसकी बनावट मैं या इसकी कार्यशैली मैं किसी भी प्रकार का परिवर्तन हमारी सेहत पर नकारात्मक असर डालता है| गर्भाशय में बनने वाले छोटे-छोटे सिस्ट ओवेरियन सिस्ट कहलाते हैं और इन सिस्ट की समस्या का लगभग हर महिला को अपने जीवन काल के दौरान कभी ना कभी सामना करना ही पड़ता है |क्योंकि यह सिस्ट और कुछ नहीं बल्कि ओवरी के भीतर द्रव्य से भरी हुई थाली नुमा संरचना होती है |हर महीने यह संरचना पीरियड के दौरान भरकर ऊपर आ जाती है| जिसे फॉलिकल के नाम से जाना जाता है |इन्हीं फॉलिकल से एस्ट्रोजन और प्रोस्टरोन हारमोंस रिलीज होते हैं ,जो ओवरी में से मैच्योर हो चुके एग को रिलीज करने में मदद करते हैं| पीरियड्स खत्म होने के बाद यह फॉलिकल स्वयं ही नष्ट हो जाते हैं ,मगर यदि पीरियड की अवधि खत्म होने के बावजूद भी फॉलिकल नष्ट ना हो या इनके आकार बढ़ने लगे तो यह ओवेरियन सिस्ट कहलाता है| हालांकि यह नुकसानदेह नहीं होते हैं और कुछ समय के बाद या अगले पीरियड के दौरान स्वयं ही नष्ट हो जाते हैं|

 अक्सर प्रेगनेंसी के दौरान भी महिलाओं को सिस्ट की समस्या का सामना करना पड़ता है |मगर यदि यह गाठ लगातार अपने आकार में बढ़ने लगे तो नुकसान देह होता है इसका आकार 2-3 सेंटीमीटर से लेकर पूरे पेट को कवर कर सकता है |कई बार सिस्ट का आकार इतना बढ़ जाता है, कि महिला सिस्ट के कारण ही प्रेग्नेंट नजर आने लगती है |यह सिस्ट फंक्शनल अथवा विनायन दोनों तरह के हो सकते हैं|

ओवेरियन सिस्ट के लक्षण-

ओवेरियन सिस्ट कई बार तो बिना लक्षण के होते हैं| मगर जब इनका आकार बढ़ने लगता है तो इनके कारण पेल्विक एरिया में रुक- रुक कर दर्द और भारीपन के साथ चुभन महसूस होती है |सिस्ट के कारण पीरियड इन रेगुलर हो जाते हैं और ब्लडिंग भी इन रेगुलर होती है कभी कम तो कभी ज्यादा| साथ ही बिना किसी खास वजह के वेजाइना में दर्द ,जलन और जी मिचलाना  भी सिस्ट का एक महत्वपूर्ण लक्षण है| जब सिस्ट का आकार धीरे-धीरे बढ़ने लगता है तो व्यायाम या सहवास के बाद भी पेल्विक एरिया में दर्द बढ़ जाता है | आपको यूरिन पास करने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है या हर समय यूरिनरी लक्षण महसूस होते हैं |इन लक्षण में से कोई भी लक्षण यदि आपको हो तो आपको सचेत होने की आवश्यकता है |क्योंकि यदि सिस्ट के लक्षणों को पहचानने के बाद भी जानबूझकर नजरअंदाज कर दिया जाता है और समय रहते इनका उपचार सही तरीके से नहीं किया जाता है तो सिस्ट धीरे-धीरे बढ़कर कैंसर का भी रूप ले लेते हैं|

यह है उपचार-

ओवेरियन सिस्ट का उपचार सामान्यतः उसकी स्थिति पर निर्भर करता है ,कि वह शरीर के लिए हानिकारक है या नहीं या सिस्ट की उत्पत्ति शरीर में किस कारण से हुई है |कुछ गांठ तो अपने आप समय के साथ ठीक हो जाती है ,मगर कुछ गाठ हानिकारक होती हैं इसके लिए तुरंत इलाज कराना जरूरी होता है,जैसे कि यदि यह गठान यदि गर्भवती महिला को हो जाती है तो उसे निकालने के लिए लेप्रोस्कोपी सर्जरी का सहारा लिया जाता है| मगर यदि गठान का आकार बड़ा होता है ,तो लेप्रोटोमी सर्जरी की जाती है| गर्भवती महिलाओ के लिए सिस्ट की सर्जरी अनिवार्यता है |गर्भवती महिलाओं के अलावा भी यदि यह गाठ सामान्य महिला को हो जाती है तो पहले डॉक्टर कुछ समय उसके गलने का इंतजार करते हैं, मगर फिर भी यदि यह नहीं गलती है तो हार्मोनल ट्रीटमेंट के द्वारा उसे नष्ट करने की कोशिश की जाती है |नहीं तो फिर सर्जरी का ही सहारा लिया जाता है|

ओवेरियन सिस्ट रैप्चर होने के कारण-

1- हार्मोनल परिवर्तन- पीरियड के दौरान होने वाला हार्मोनल परिवर्तन सिस्ट रैप्चर का मुख्य कारण है|

यह मंथली फंक्शनल सिस्ट रैप्चर पूरी तरह से प्राकृतिक और हानि रहित होता है |इस तरह के सिस्ट रैप्चर होने पर किसी भी प्रकार की मेडिकल हेल्प की आवश्यकता नहीं होती है|

2- गर्भावस्था- गर्भावस्था के दौरान होने वाले हार्मोनअल परिवर्तन और गर्भाशय के आकार में परिवर्तन होने से सिस्ट रैप्चर होने का खतरा बढ़ जाता है |यदि गर्भावस्था के दौरान सिस्ट रैप्चर हो जाती है तो यह स्थिति मां और बच्चा दोनों के लिए खतरनाक साबित होती है |इसलिए डॉ इस स्थिति का पूर्व निदान करने के लिए सिस्ट रैप्चर होने पहले ही ऑपरेशन के जरिए उसे निकाल देते हैं|

3- एंटीकोएग्ग्यूलेशन थेरेपी- एंटीकोएग्यूलेशन थेरेपी लेने वाली और क्लोटिंग फैक्टर की कमी से पीड़ित महिलाओं को कॉपर ल्यूटियम सिस्ट रैप्चर का अधिक खतरा रहता है|

4- सेक्सुअल इंटर कोर्स- कई बार इंटरकोर्स के दौरान अत्यधिक एक्साइटमेंट होने से भी सिस्ट लीक होने लगता है| यह सिस्ट रैप्चर होने का सबसे एक आम कारण है|

5- कब्ज- कई बार जब महिलाओं को कब्जे की ज्यादा परेशानी होती है तो मल त्याग करते समय जो दबाव यूट्रस पर पड़ता है तो उसके कारण भी कई बार

सिस्ट रैप्चर की समस्या खड़ी हो जाती है|

6- यूट्रस को अचानक से झटका लगना- कई बार खेलते- कूदते समय या तेजी से कोई मूवमेंट करते समय यदि यूट्रस को झटका लगता है तो सिस्ट रैप्चर का खतरा बढ़ जाता है|

वैसे तो सिस्ट के कारण ज्यादा परेशानी नहीं होती है मगर यदि सिस्ट रैप्चर हो जाए तो उसके होने से समस्या बढ़ जाती है| यदि आपको भी अपने शरीर में सिस्ट के कोई भी लक्ष्य नजर आए तो उसे आम मानकर नजरअंदाज करने की गलती ना करें| क्योंकि किसी कारणवश यदि स्थिति हार्मोनल चेंजेज के दौरान सिस्ट रैप्चर नहीं होता है तो समय के साथ यह बढ़कर आपकी फर्टिलिटी को भी प्रभावित कर सकता है| यह आपके जाने बिना ही यह प्राकृतिक रूप से नष्ट ना होकर किसी दबाव या अन्य किसी कारण से नष्ट होता है तो इसमें मौजूद पानी यूट्रस में फंगल इन्फक्शन के साथ-साथ आपको यूरिनरी इनफेक्शन भी दे सकते है या यह सिस्ट अपने साइज में लगातार बढ़ते रहे और फिर इन्हें निकालने के लिए सर्जरी का सहारा लिया जाता है कई बार तो मरीज के पूरे यूट्रस को ही निकालना पड़ सकता है| कुछ केस में तो यूट्रस में मौजूद सिस्टर कैंसर का भी रुप ले लेते हैं |अतः बिना देर कीए नियमित रूप से अपनी गायनिक से जांच कराएं क्योंकि इससे बचने का तो कोई उपाय नहीं है, मगर नियमित जांच और सही समय पर ट्रीटमेंट के द्वारा आप पर और आपके फर्टिलिटी सिस्टम पर सिस्ट का कोई बुरा असर नहीं पड़ेगा|


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