10 ways to prevent pregnancy| महिलाओं की प्रेगनेंसी कंट्रोल करने के तरीके

10 ways to prevent pregnancy| महिलाओं की प्रेगनेंसी कंट्रोल करने के तरीके

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मां बनना संसार का सबसे सुंदर अनुभव होता है |हर स्त्री मां बनकर पूर्ण होना चाहती है ,लेकिन आजकल महिलाएं  शादी के बाद घर परिवार और बच्चे संभालने के बजाए अपना करियर बनाना चाहती हैं| प्रतिस्पर्धा के इस दौर में महिलाएं घर परिवार और बच्चों के कारण पीछे ना रह जाए इसलिए पहले तो महिलाएं कम उम्र में शादी करना ही नहीं चाहती हैं| क्योंकि घर ,परिवार ओर बच्चे की जिम्मेदारी को निभाते हुए नौकरी में कामयाबी की सीढ़ी चढ़ना पुरुषों के मुकाबले महिलाओं के लिए ज्यादा चुनौतीपूर्ण होता है |इसलिए अनुमन  यदि महिलाएं शादी कर भी ले तो बच्चों से ज्यादा वे अपने कैरियर को अहमियत देती हैं |लेकिन  कई बार सवाल यह उठता है कि ऐसे कौन से गर्भनिरोधक है जो महिलाओं के शरीर को नुकसान ना पहुंचाते हुए आसानी से बर्थ कंट्रोल कर सके |क्योंकि बार-बार अबॉर्शन कराना किसी भी हाल में तर्कसंगत नहीं होता है|

गर्भ नियंत्रण पूरी तरह से वैज्ञानिक तरीकों पर निर्भर करता है| जो महिलाएं गर्भधारण करने के लिए तैयार नहीं होने यह जरूरी है ,कि सुरक्षित गर्भ नियंत्रण के उपाय को समझें |गर्भ नियंत्रण के लिए कई चिकित्सा की गर्भनिरोधक तकनीक उपलब्ध है |अनचाहे गर्भ को रोकने के लिए महिलाएं नहीं पुरुषों के लिए भी गर्भ नियंत्रण का विकल्प है| मगर यदि आपका पार्टनर इन उपायों को अपनाने के लिए तैयार नहीं है तो आप निम्न में से कोई भी उपाय अपने डॉक्टर की सलाह पर अपना सकते हैं|

1- ओरल कांट्रेसेप्टिव पिल्स- महिलाओं में सबसे प्रचलित बर्थ कंट्रोल का तरीका ओरल कांट्रेसेप्टिव पिल्स है |यह गोलियां आपको बर्थ कंट्रोल देने के साथ-साथ आपके शरीर में हार्मोन बैलेंस करने का कार्य करते हैं |21 दिन तक लेने वाली ये गोलियां हर दिन एक तय समय पर लेनी होती है |इन गोलीओ में मौजूद प्रोजेस्टिन हार्मोन के जरिए ओव्यूलेशन  होना रुक जाता है |इस कारण प्रेग्नेंट होने के चांसेस नहीं रहते हैं| इन गोलियों के कई साइड इफेक्ट भी है ,जैसे कि वजन बढ़ना मुड स्विंग होना या मुहासे आना |लंबे समय तक इनका इस्तेमाल करने से ब्लड क्लोटिंग भी हो सकती हैं ,इसलिए जिन लोगों को हाई ब्लड प्रेशर या माइग्रेन की शिकायत रहती हैं उन लोगों को इसके सेवन नहीं करने की सलाह दी जाती है|

2- प्रोजेस्टिन गोली- इस गोली को मिनी गोली के रूप में जाना जाता है| इन दवाइयों में एस्ट्रोजन नहीं आता है ,इस कारण ऐसी महिलाएं जो हार्ड डिसीज या डायबिटीज के मरीज हैं या फिर शराब और स्मोकिंग जैसे नशे का सेवन करती है तो इन दवाइयों को आसानी से ले सकती हैं| क्योंकि इसके जरिए ब्लड क्लोट का खतरा नहीं रहता है |यह प्रेगनेंसी रोकने का सुरक्षित उपाय है ,लेकिन अच्छे रिजल्ट के लिए आपको रोजाना तय समय पर ही इसका सेवन करना अनिवार्य होता है|

3- हार्मोन के इंजेक्शन- ओरल कांट्रेसेप्टिव पिल्स के बाद महिलाएं हार्मोन के इंजेक्शन लगवाने को प्राथमिकता देती है |इस तरीके से एक बार प्रोजेस्टेरोन इंजेक्शन लगवाने के बाद 3 महीने तक किसी भी तरह के गर्भनिरोधक की आवश्यकता नहीं होती है, हालांकि इस तरह से बर्थ कंट्रोल करने से महिलाओं क शरीर कमजोर होने लगता है ,हड्डियां घिस जाती है इसके साथ ही 4 में से एक महिला का वजन इंजेक्शन लेने के बाद बढ़ जाता है |और कई लोगों को लगातार सर दर्द और जी घबराने की शिकायत भी रहती है|

4- इंट्रा यूटरिन डिवाइस- इंट्रायूटरिन डिवाइस महिलाओं के लिए सबसे कामयाब गर्भनिरोधक में से एक है |इसे ज्यादातर लोग copper-t के नाम से भी जानते हैं |छोटे से आकर का यह डिवाइस महिलाओं के यूट्रस में डॉक्टर द्वारा फिट किया जाता है ,इस डिवाइस के माध्यम से इस स्पर्म का गर्भाशय में प्रवेश रुक जाता है| हेल्थ एक्सपर्ट्स इस डिवाइस को 99 प्रतिशत तक कारगर मानते हैं |एक बार यह डिवाइस यदि यूट्रस में फिट करवा लिया जाए तो 3 से 10 साल तक किसी भी तरह के प्रिकॉशन की नीड नहीं रहती है| कई लोगों को लगता है कि इसका उपयोग करने से पेल्विक एरिया में सूजन आ जाती है लेकिन यह गलत धारणा है| हालांकि इसके उपयोग से यौन संबंधित रोगों का संक्रमण बढ़ जाता है और कभी कबार ब्लिडींग भी होती है| मगर ओवरऑल अनचाहे गर्भ से बचने का सबसे बेहतरीन उपाय है|

5- इंप्लांट्स- इंप्लांट्स के जरिए महिलाओं के बाजुओ के अंदर माचिस की तीली के आकार का एक पेच लगाया जाता है ,जो लगातार प्रोजेस्टिन हार्मोन को बनाता है| यह हार्मोन महिलाओं में ओवुलेशन को रोकता है |एक बार एंप्लॉयमेंट के बाद यह डिवाइस 3 साल तक असरदार रहता है| इसको लगवाने से आप प्रेगनेंसी तो बच सकती है ,साथ ही इस डिवाइस को लगाने के बाद पीरियड में होने वाली क्रेम्प ओर  दर्द कम हो जाते हैं |इन डिवाइस पर की गई स्टडी के अनुसार ये 98 प्रतिशत तक प्रभावी रहते हैं| मगर इनका माइनस पॉइंट यह है कि इन लगवाने के बाद पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं| साथ ही कई महिलाओं को सिर दर्द और पाचन संबंधी दिक्कत का भी सामना करना पड़ता है|

6- कंडोम- कंडोम गर्भनिरोधक के सबसे ज्यादा माना और सबसे ज्यादा उपयोग में आने वाला तरीका है| संभोग के वक्त कंडोम के इस्तेमाल करने से गर्भ निरोध के साथ-साथ यौन संबंधित रोगों से भी सुरक्षा मिलती है| ऐसा लाखों में एक ही केस देखने में आता है कि इसके इस्तेमाल के बावजूद प्रेगनेंसी रह गई हो| आजकल कंडोम महिलाओं के लिए भी उपलब्ध है| यूट्रस में आसानी से फिट होने वाली यह कंडोम के इस्तेमाल से आप अपने पार्टनर के साथ सेक्स का आनंद पूरी तरह से ले सकते हैं|

7- डायाफ्राम- डायाफ्राम एक एसा  डिवाइस है जो रबर से बना होता है और इसका आकार गुंबद की तरह होता है| यह गर्भाशय की ग्रीवा को कवर करके शुक्राणु को अंडे  तक पहुंचने से रोकता है |मगर यह डिवाइस थोड़ा सा महंगा आता है| मगर आप इसका उपयोग 2 साल तक कर सकते हैं | इसका उपयोग करने के पहले आपको डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है, क्योंकि डॉक्टर ही आपको इसे सही तरीके से फिट करने में मदद कर सकेगा और समझाएगा कि इसका उपयोग कैसे किया जा सकता है|

8- स्टरलाइजेशन- स्टरलाइजेशन वह तकनीक है जिसके जरिए आप कभी भी प्रेग्नेंट नहीं हो सकते हैं| यदि आपका परिवार पूरा हो गया है ,उसके बाद आप गर्भनिरोध की तलाश में तो यह सबसे अच्छा विकल्प हो सकता हैं |स्टरलाइजेशन के लिए एक छोटी सी शल्यक्रिया  की जाती है ,जिससे कि अंडे का युटरस तक का मार्ग को अवरुद्ध कर दिया जाता है| इस तरह अंडा यूट्रस तक नहीं पहुंच पाता है और प्रेगनेंसी के चांसेस ना के बराबर हो जाते हैं|

9- इमरजेंसी पिल- इसे आई पी लिया मॉर्निंग आफ्टर पिल के नाम से जाना जाता है |यदि आप किसी दिन अपनी नियमित सावधानी बरतना  भूल जाते हैं तो यह प्रेगनेंसी से बचने के लिए बेहतर विकल्प हो सकता है| इसमें प्रोजेस्टिन नामक हार्मोन की हाइ ड़ोज होती है, जो असुरक्षित सेक्स से होने वाली प्रेगनेंसी को आसानी से रोक सकती हैं |मगर इसका सेवन असुरक्षित सेक्स के 72 घंटे के भीतर करना जरूरी होता है|

10 -वेजाईनल रिंग- फ्लैक्सिबल प्लास्टिक से बनी हुई यह रिंग बर्थ कंट्रोल गोली की तरह ही एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टिन का वितरण कर देती है |इसे वेजाइना में 3 हफ्ते के लिए रखा जाता है और पीरियड्स के दौरान अगले 1 हफ्ते के लिए इसे हटा दिया जाता है| इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे पीरियड ज्यादा रेगुलर और लाइट होते हैं और इसे महीने में सिर्फ एक बार बदलना पड़ता है |मगर कई बार इसके कारण वेजाइनल एरिया में जलन होती है और इस से भी पिल की तरह कुछ साइड इफेक्ट होते हैं साथ ही एसटीडी में सुरक्षा नहीं मिलती है|

विनीता मोहता विदिशा


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