Ovarian Cyst mein Survival Rate kya hai?- ओवेरियन सिस्ट में सर्वाइकल रेट?

 

Ovarian Cyst mein Survival Rate kya hai?- ओवेरियन सिस्ट में सर्वाइकल रेट?


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ओवेरियन सिस्ट में सर्वाइकल रेट


बीमारी चाहे जो कोई भी हो उसके बारे में मन में संशय होना लाजमी है |जब वह बीमारी शरीर के महत्वपूर्ण अंगों से जुड़ी हुई हो तो मामला ज्यादा गंभीर हो जाता है ,जैसे कि- ओवेरियन सिस्ट|

 अंडाशय में बनने वाली गाठ  को ओवेरियन सिस्ट कहा जाता है |ओवेरियन सिस्ट एक मेडिकल कंडीशन है जिसमें ओवरी की सतह पर तरल पदार्थ की एक थैली बनकर तैयार हो जाती है| हर महिला के शरीर में दो ओवरी होती है यह गर्भाशय के दोनों तरफ निचली सतह पर होती है |आमतौर पर ओवेरियन सिस्ट नुकसानदेह नहीं होती है| इस सिस्ट को बनने द के लिए दो कारण जिम्मेदार होते हैं- फिजियोलॉजिकल कारण और पैथोलॉजिकल कारण | फिजियोलॉजिकल सिस्ट मासिक धर्म के दौरान ठीक हो सकती है, मगर पैथोलॉजिकल सिस्ट को विशेष ट्रीटमेंट की जरूरत होती है|

'ओवेरियन सिस्ट के लक्षण-

•मासिक धर्म के दौरान पीठ के निचले हिस्से से जांघों तक तेज दर्द|

•पेट के निचले हिस्से में दर्द|

•पेट में भारीपन महसूस होना , उल्टी जी मचलाना स्तनों में अत्यधिक कोमलता|

•इंटरकोर्स के दौरान बहुत दर्द होना|

•मासिक धर्म की शुरुआत से अंत तक दर्द की स्थिति बनी रहना|

ओवेरियन सिस्ट के प्रकार-

फॉलिकल सिस्ट- फॉलिकल सिस्ट मासिक धर्म के दौरान फॉलिकल थैली में बनने वाले एग फॉलिकल थैली के टूट जाने के बाद भी रिलीज नहीं होता है तो एग में मौजूद फ्लूड अंदर जमा होकर सिस्ट को बनने में मदद करता है |आमतौर पर यह सिस्ट खुद ब खुद ठीक हो जाती है|

कार्पस लुटियम सिस्ट- जब एग को रिलीज करने के बाद फॉलिकल फर्टिलाइजेशन के लिए एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का अधिक मात्रा में निर्माण करने लगता है, तो इन हार्मोन से निकलने वाले फ्लूड  अंदर जमा होने लगते हैं और सिस्ट का रूप ले लेते हैं|

कौन सी सिस्ट केवल सर्जरी के द्वारा निकलती है?

1- सामान्य जांच में जब सिस्टम से कैंसर होने का खतरा हो तो डॉक्टर ऑपरेशन कर कर सिस्ट को निकाल देता है|

2- जब सिस्ट का साइज 2.5 इंच से बड़ा हो|

3- यदि सिस्ट का फ्लूड ठोस होने लगे|

4- सिस्ट के कारण दर्द अत्यधिक बढ़ जाए|

ओवरी में सिस्ट का इलाज रोगी की आयु, सिस्ट के प्रकार ,आकार और लक्षण के अनुसार किया जाता है| हालांकि कुछ हफ्ते या महीनों के बाद ज्यादातर सिस्ट स्वत ही खत्म हो जाती है |अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट मे यदि एक छोटीसी गाठ नजर आती है,तो कुछ समय तक इंतजार करके दोबारा जांच करने की सलाह दी जाती है| मगर यदि तब भी यह सिस्ट अपने आप ठीक नहीं होती तो कुछ दवाई के जरिए इसे हटाया जाता है| या फिर ऑपरेशन की सलाह दी जाती है|

ओवेरियन सिस्ट का ट्रीटमेंट-

• बर्थ कंट्रोल पिल्स- यदि किसी कारणवश बार-बार सिस्ट बन रहे हो तो डॉक्टर ओवुलेशन को रोकने और नए सिस्ट को बनने को रोकने के लिए गर्भनिरोधक दवाइयों की सलाह देते हैं|

2• लेप्रोस्कोपी सर्जरी- लेप्रोस्कोपी सर्जरी से सिस्ट को हटाया और निकाला जा सकता है| यह सर्जरी तब करवाई जाती है जब गाठ छोटी हो|

3• लेप्रोटोमी सर्जरी- यदि सिस्ट का आकार  ज्यादा बड़ा हो तो, उसे लेप्रोटोमी सर्जरी के द्वारा निकाला जाता है |यदि सिस्ट की वजह से कैंसर होने का भी खतरा हो तो गर्भाशय और अंडाशय की सर्जरी कर कर उन्हें भी निकाल दिया जाता है|

क्या ओवेरियन सिस्ट के दौरान प्रेगनेंसी संभव है?-

हां सिस्ट के दौरान भी प्रेगनेंसी कंटिन्यू की जा सकती है |मगर सिस्ट का प्रकार बड़ा हो तो पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम के कारण महिलाएं बांझपन का शिकार हो जाती है |ऐसे में आईयूआई (इंट्रायूटरिन इनसेमिनेशन)के साथ ऑपरेशन इंडक्शन मेडिसिन की सलाह दे सकते हैं|फिर भी यदि आईयूआई के बाद भी गर्भधारण नहीं होता है तो आईवीएफ के जरिए प्रेगनेंसी निर्धारण करने के लिए पहले लेप्रोस्कोपी के द्वारा सिस्ट को निकाला जाता है |उसके बाद आईवीएफ की प्रक्रिया शुरू की जाती है|

ओवेरियन सिस्ट ट्रीटमेंट की जोखिम और जटिलताएं-

ओवेरियन सिस्ट सर्जरी के बाद ज्यादातर महिलाएं ठीक हो जाती है| इस सर्जरी के दौरान डॉ यह कोशिश करता है कि आप का अंडाशय बचा रहे ताकी सर्जरी के बाद भी आप प्रेग्नेंट हो सके |

सर्जरी के पूर्व की तैयारी - किसी भी सर्जरी के पूर्व की तरह डॉक्टर इस सर्जरी के लिए भी कंपलीट बॉडी चैकअप करते हैं|

•कंप्लीट  ब्लड काउंट-  ये सीबीसी आपकी हिमग्लोबिन, ब्लड सेल काउंट और डब्ल्यूबीसी का काउंट देखने के लिए किया जाता है| इससे शरीर की शुगर स्थिति भी क्लियर हो जाती है

• यूरिन टेस्ट- यूरिन टेस्ट के जरिए शरीर में किडनी की कार्य क्षमता की स्थिति, गर्भावस्था की स्थिति, इंफेक्शन और एसजीसी हार्मोन चेक किया जा सकता है |

• ईसीजी और अल्ट्रासोनोग्राफी - हृदय  की कार्य क्षमता और सिस्ट की स्थिति का पता लगाने के लिए ईसीजी और अल्ट्रासोनोग्राफी का सहारा लिया जाता है|

• हार्मोन टेस्ट - शरीर के सारे जरूरी हार्मोन की स्थिति जैसे कि- टेस्टोस्टेरोन, एलएच, एस्ट्राडियोल आदि का पता लगाने के लिए हार्मोन टेस्ट किया जाता है |

एक बार यदि आप की सारी रिपोर्ट नॉर्मल आ जाती है, और डॉक्टर को लगता है कि आपका शरीर सर्जरी के लिए स्वस्थ है तो डॉक्टर आप की सर्जरी करने को तैयार हो जाता है| पूरी सतर्कता और सभी अनुकूलता ओं को ध्यान में रखने के बाद भी  इसके ऑपरेशन में इन बातों के  अलावा कुछ जटिलताएं आम है |जैसे कि रक्त स्त्राव और रक्त के थक्के , पाचन तंत्र और यूरिनरी सिस्टम जैसे अंगों को नुकसान, यूट्रस और उसके आसपास की जगह पर दर्द ,सूजन शरीर का तापमान बडना और यूरिन पास करने के दौरान जगह पर जलन होना हिस्टोरेक्टोमी के कारण भविष्य में मां बनने की संभावना कम हो जाना असामान्य रूप से योनि से खून आना या बदबू आना आदि |

अंडाशय से सिस्ट  का ऑपरेशन होने के बाद की देखभाल-

हॉस्पिटल में मरीज की देखभाल- ऑपरेशन से कुछ समय बाद तक मरीज बेहोशी के इंजेक्शन के कारण बेहोश रहता है, मगर जब एनेस्थीसिया का असर खत्म हो जाता है और उसे होश आता है तो मरीज की शारीरिक जांच की जाती है | ऑपरेशन के बाद मरीज का शरीर किस तरह से रियेक्ट कर रहा है ,इसका पता इस जाच से आसानी से चल जाता है| किसी भी सर्जरी के बाद मरीज को कुछ भी खाने पीने की मनाही होती है |शरीर में पोषक तत्वों बनाए रखने के लिए आइवी लाइन की मदद से शरीर में पोषक तत्वों की जरूरत पूरी की जाती है| जब पाचन तंत्र दोबारा ठीक तरह से कार्य करना शुरू कर देता है ,तो मरीज को खाना दिया जा सकता है|

घर पर मरीज की देखभाल- सर्जरी के बाद केवल 1 से 2 दिन तक मरीज को डॉक्टर की ऑब्जर्वेशन में रखा जाता है| उसके बाद घर पर जाने के बाद जरूरी है कि मरीज का सर्जिकल घाव साफ और सूखा रहे| डॉक्टर के कहे अनुसार समय पर उसकी ड्रेसिंग हो| यदि सर्जिकल घाव में रक्त स्त्राव ,दर्द या संक्रमण के लक्षण हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क किया जाना चाहिए | ऑपरेशन के बाद  शरीर को रिकवर होने में कुछ हफ्ते लग सकते हैं, इस दौरान कोई भी शारीरिक तनाव या मानसिक तनाव वाला काम ना करें| साथ ही ऐसा काम जिससे कि ऑपरेशन की जटिलताएं बड़ने की संभावना हो ना करे|

जल्दी रिकवर होने के लिए सर्जरी के बाद भी अपने डॉक्टर से नियमित रूप से जांच कराते रहना जरूरी है| डॉक्टर घाव और मरीज की स्थिति की जांच कर घाव भरने के बाद टांके खोल देते हैं|

पूरी तरह से ठीक देखभाल की जाये तो मरीज जल्द ही रिकवर हो जाता है| सिस्ट के ऑपरेशन के बाद सर्वाइवल रेट 99 परसेंट से ज्यादा रहता है|


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