Does sunscreen cause breast cancer? क्या सनस्क्रीन ब्रेस्ट कैंसर की वजह है ?

 Does sunscreen cause breast cancer? | क्या सनस्क्रीन ब्रेस्ट कैंसर की वजह है ?


Does sunscreen cause breast cancer? | क्या सनस्क्रीन ब्रेस्ट कैंसर की वजह है ?_ ichhori.com





आज का युग अविष्कारों की जननी कहलाता है जहां एक ओर आधुनिकता की चकाचौंध ने बिशेषकर महिलाओं को नये नये प्रोडक्ट क्रीम से अपने चेहरे को सुंदर बनाने की ओर आकर्षित किया है वहीं एक ओर मध्यमवर्गीय परिवार जो अपनी आवश्यकताओं की चीजों को जुटाने में असफल रहता है वह भी इस चकाचौंध से दूर नहीं है जिसका परिणाम अत्यंत घातक होता है क्योंकि अलग अलग तरह के क्रीम प्रोडक्ट के इस्तेमाल करने से अनेक बीमारी जैसे इंफेक्शन या खुजली होने का खतरा रहता है क्योंकि इसमें अनेक प्रकार के रसायन होते हैं जो आपके शरीर के लिए अत्याधिक घातक होते हैं,
       कुछ लोगों का मानना है सनस्क्रीन क्रीम जो आमतौर पर महिलाओं अपने चेहरे को धूप से बचाने के लिए इस्तेमाल करती हैं उसके प्रयोग से ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा रहता है अब सोचने की बात यह है कि ब्रेस्ट कैंसर क्या है और किस प्रकार हमारे शरीर को प्रभावित करता है और क्या सनस्क्रीन क्रीम के प्रयोग से वास्तव में ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा रहता है या ये मिथ्याप्ररक आरोप है,
       तो सर्वप्रथम - ब्रेस्ट कैंसर क्या है - ब्रेस्ट कैंसर स्तन से संबंधित एक बीमारी है जिसे स्तन कैंसर के नाम से भी जाना जाता है यह पुरूष और महिलाएं दोनों में हो सकता है लेकिन इससे अधिकतर महिलाएं पीड़ित हैं
स्तन कैंसर स्तन कोशिकाओं की अनियंत्रित बढ़ोतरी है ये कोशिकाएं आमतौर पर टयूमर बन जाती है जिन्हें एक्स- रे में देखा जा सकता है,
जिसके प्रमुख कारण है-

1. शराब का सेवन
2. मोटापा
. 3. धूम्रपान
4. अक्सर देर रात तक या नाइट शिफ्ट में काम करना
. 5. व्यायाम की कमी
. 6. तैलीय चीजें अधिक खाना
. 7. फल तथा सब्जियां कम खाना
. 8. रसायनों और विकिरणों के संपर्क में अधिक रहना इत्यादि
क्योंकि आंकड़ों के अनुसार भारत में स्तन कैंसर के इलाज पर सालाना 85600 डॉलर खर्चा आ जाता है जो मध्यमवर्गीय परिवार के लिए खर्च कर पाना मुश्किल है जिसके कारण वह इस कोर्स को अधूरा छोड देते है जिससे 80%महिलाएं अपनी जान गंवा देती है

. स्तन कैंसर के लक्षण -
1.स्तन में गांठ या मस्से
2. पूरे स्तन या किसी हिस्से में सूजन
3.(त्वचा का मोटा होना, जलन, त्वचा की बनावट में बदलाव आना) आदि लक्षण यदि दिखाई दे तो यह स्तन कैंसर होने के संकेत देते है
4. स्तन की त्वचा में बदलाव
5. निप्पल में बदलाव
6. अंडरआर्म में गांठ

ब्रेस्ट कैंसर कितने प्रकार का होता है -
. ब्रेस्ट कैंसर मुख्य रूप से तीन प्रकार का होता है,
1. डक्टल कार्सिनोमा इन सीटू - यह स्तन कैंसर का सामान्य प्रकार है।
2. इनवेसिव डक्टल कार्सिनोमा - इससे सामान्यतः 80% महिलाएं प्रताड़ित है इस प्रकार का कैंसर डक्ट वॉल से होते हुए ब्रेस्ट के चर्बी वाले हिस्से तक फैल जाता है
3. इनवेसिव लोब्यूलर कार्सिनोमा - इस कैंसर को ILC के नाम से भी जाना जाता है
महिलाओं में पाये जाने वाले इन ब्रेस्ट कैंसर के अलावा में टयूबुलर कार्सिनोमा, मेडयुलरी कार्सिनोमा, म्यूकस कार्सिनोमा, लोबूलर कार्सिनोमा जैसे कई अन्य प्रकार के कैंसर होते हैं

ब्रेस्ट कैंसर के स्टेज -
स्टेज 0 - कैंसर के इस स्टेज में दूध बनाने वाले टिश्यू या डक्ट में बना कैंसर वही तक सीमित हो और शरीर के किसी अन्य हिस्से तक न पहुंचा हो
स्टेज 1 - इसमें टिश्यू का विस्तार होने लगता है और स्वस्थ टिश्यू को प्रभावित करने लगता है,

ब्रेस्ट कैंसर क्या है और इसके क्या लक्षण और कारण है उसके बारे में जानने के पश्चात यह जानना भी अति आवश्यक है कि क्या वास्तव में सनस्क्रीन क्रीम का प्रयोग करने से ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा होता है या ये मिथ्यापरक आरोप है -बिशेषज्ञो का कहना है कि सनस्क्रीन में ऐसे केमिकल शामिल होते हैं, जो ब्रेस्ट कैंसर सेल्स पर एस्ट्रोजेनिक प्रभाव डालते हैं और तो और कुछ सनस्क्रीन ब्लड में एस्ट्रोजेन के स्तर पर प्रभाव डालती हैं, इसलिए वो सलाह देते हैं कि बच्चों पर सनस्क्रीन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि उनकी त्वचा अत्यधिक संवेदनशील होती है, और तो और इन प्रोडेक्ट को बेचने वाले लोग अधिक लाभ के चलते सनस्क्रीन को सुरक्षा गार्ड में तब्दील करने के लिए एवोबेंज़ोन, ऑक्सीबेंज़ोंन, होमोसैलेट, एक्टीनॉक्सेट जैसे केमिकल इस्तेमाल करते हैं जिसके कारण कुछ केमिकल त्वचा के माध्यम से अंदर टिश्यू तक पहुंच जाते हैं और यह केमिकल महिलाओं में यूटेरस के टिश्यू को डिस्टर्ब कर देते है और जिस कारण जो टिश्यू यूटेरस के अंदर होने चाहिए वे बाहर पनपने लगते हैं और उनमें बेंज़ोंफेनंस नाम के  केमिकल से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा पैदा हो जाता है यह  एस्ट्रोजन की भांति उस जैसा नुकसान पहुंचाता है, विशेषज्ञों की रिसर्च के अनुसार सनस्क्रीन आसानी से मिलने वाला कॉस्मेटिक प्रॉडक्ट है और तो और सनस्क्रीन का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर देश और विदेशों में भी किया जाता है और डर्मेटोलॉजी स्किनकेयर स्पेशलिस्ट द्वारा हाल ही में किए गए अध्ययन से पता चलता है कि 88% महिलाएं त्वचा के लिए क्या सही है और क्या नहीं और उन्हे कौनसे उत्पादों का उपयोग करना चाहिए इसके बारे में नहीं जानती  और ऐसे में सनस्क्रीन से नुकसान होना तय है, केली ब्रैमलेट ब्लैकबर्न द्वारा कहा गया है कि यदि आप धूप से बाहर नहीं रहते या नहीं रह सकते तो सनस्क्रीन और सनब्लॉक त्वचा की रक्षा करने का सबसे अच्छा तरीका है विशेष रूप से एक ब्रॉड-स्पेक्ट्रम सनस्क्रीन  जो यूवीए और यूवीबी दोनों किरणों से बचाता है क्योंकि ये दोनों किरणें हानिकारक हैं और त्वचा कैंसर का कारण बनती हैं, लेकिन कई मिथक और गलत सूचनाएं सनस्क्रीन को घेर लेती हैं जिसमें सबसे पहले -

मिथक 1: कि सनस्क्रीन कैंसर का कारण बनता है 

यह बात पूर्णतः असत्य है क्योंकि इस बात का कोई चिकित्सकीय प्रमाण नहीं है कि सनस्क्रीन से कैंसर होता है, हालांकि इस बात के ढेर सारे मेडिकल सबूत हैं कि सूरज और टैनिंग बेड से निकलने वाली यूवी किरणें ऐसा
कर सकती हैं लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि सनस्क्रीन में इस्तेमाल होने वाले केमिकल त्वचा द्वारा सोख
लिए जाते हैं और कैंसर का कारण बनते हैं,हालाकि यह बात अवश्य है और समाचार रिपोर्टों के अनुसार दर्जनों लोकप्रिय सनस्क्रीन और उत्पादों में बेंजीन के निशान पाए जाते हैं और लगभग 300 स्प्रे और लोशन का जब परीक्षण किया गया उन परीक्षणों में, 78 उत्पादों में कैंसर पैदा करने वाला रसायन पाया गया जिसमें न्यूट्रोजेना, बनाना बोट और सीवीएस द्वारा बेचे गए कुछ फॉर्मूलै शामिल हैं, और बैपटिस्ट स्वास्थ्य परीक्षणों से पता चला कि न्यूट्रोजेना के अल्ट्रा शीयर वेटलेस सनस्क्रीन स्प्रे, एसपीएफ़ 100 के एक बैच में बेंजीन का उच्चतम स्तर - 6.26 भाग प्रति मिलियन पाया गया और एक ही तरह की सनस्क्रीन के दो अलग-अलग बैच तथा ऑनलाइन फ़ार्मेसी और परीक्षण करने वाली लैब वालिसुर ने अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन से बेंजीन युक्त सनस्क्रीन को तुरंत वापस बुलाने के लिए याचिका की
और लोगों का मानना है कि बेंजीन के संपर्क में ल्यूकेमिया  रक्त कैंसर हैं, लेकिन बैपटिस्ट स्वास्थ्य
"रासायनिक-आधारित सनस्क्रीन के साथ जो सामग्री इस्तेमाल होती है त्वचा द्वारा अवशोषित होती है और एक रासायनिक अवरोध पैदा करती है जो सूरज की हानिकारक पराबैंगनी किरणों से रक्षा करता है लेकिन डॉ कास्पर कहते हैं कि"खनिज आधारित सनस्क्रीन  त्वचा द्वारा अवशोषित नहीं होते हैं उनमें या तो टाइटेनियम  डाइऑक्साइड या जिंक डाइऑक्साइड होता है जो यूवी किरणों के खिलाफ एक भौतिक बाधा के रूप में कार्य करता है और उनका कहना है कि किसी भी खनिज-आधारित सनस्क्रीन में बेंजीन संदूषण
नहीं पाया गया है और ये उत्पाद उपयोग करने के लिए बिल्कुल सुरक्षित हैं पारंपरिक ज्ञान यह मानता है कि रासायनिक-आधारित जो सनस्क्रीन होते हैं समय के साथ टूट जाते हैं और उनकी प्रभावशीलता कम हो जाती है इसलिए डॉ कैस्पर कहते हैं इसलिए आप इनका प्रयोग कर सकते है

   अतः यह निश्चित हो गया है क्योंकि इस बात का कोई चिकित्सकीय प्रमाण नहीं है कि सनस्क्रीन से कैंसर होता है क्योंकि इसके इस्तेमाल में जो सामग्री प्रयुक्त होती है त्वचा द्वारा अवशोषित होती है और एक रासायनिक अवरोध पैदा करती है जो सूरज की हानिकारक पराबैंगनी किरणों से रक्षा करता है लेकिन डॉ कास्पर कहते हैं कि "खनिज आधारित सनस्क्रीन  त्वचा द्वारा अवशोषित नहीं होते हैं उनमें या तो टाइटेनियम डाइऑक्साइड या जिंक डाइऑक्साइड होता है जो यूवी किरणों के खिलाफ एक भौतिक बाधा के रूप में कार्य करता है इसलिए यह पूरी तरह से सुरक्षित है और आप इसका इस्तेमाल कर सकते हैं हालांकि आप उसका लेबल जांच कर लें क्योंकि मार्केट में अनेक प्रकार के नकली प्रोडक्ट भी होते हैं इसलिए जांच परख कर ही आपको सौंदर्य प्रसाधन का प्रयोग करना चाहिए और इस तरह यह बात बिल्कुल मिथ्यापरक है कि सनस्क्रीन  ब्रेस्ट कैंसर का एक कारण है।



 





Previous Post Next Post