Growing trend of therapists in teens - किशोरावस्था में थेरेपिस्ट की बढ़ती हुई जरूरत?

 किशोरावस्था में थेरेपिस्ट की बढ़ती हुई जरूरत

  टीनएज जिसे हम किशोरावस्था भी कहते हैं | वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार 10 से लेकर 19 वर्ष के बीच की आयु को किशोरावस्था की श्रेणी में रखा गया  है | यह अवस्था बचपन और युवावस्था के मध्य की अवस्था होती है |

किशोरावस्था व्यक्ति के जीवन का वह पड़ाव होता है | जिसमें सही मार्गदर्शन और सही विकास मिलने पर वह एक स्वस्थ और खुशहाल जीवन की ओर बढ़ सकता है | इसके विपरीत नकारात्मक माहौल और उचित मार्गदर्शन की कमी के बच्चों में आपराधिक और हिंसक प्रवृत्तियों के उत्पन्न होने का खतरा भी पैदा हो सकता है |

इसका सीधा-सीधा अर्थ यह हुआ कि माता-पिता के लिए किशोरावस्था से गुजर रहे बच्चों को सही शिक्षा के साथ उन्हें उचित मार्गदर्शन, स्वस्थ माहौल उपलब्ध करवाना भी बेहद आवश्यक होता है | क्योंकि किशोरावस्था में बच्चे कई तरह के शारीरिक और मानसिक परिवर्तनों से गुजर रहे होते हैं | 



किशोरावस्था में आने वाली शारीरिक और मानसिक समस्याओं के साथ सामंजस्य सही तरीके से ना बिठा पाने के कारण आधुनिक दौर में थैरेपिस्ट या काउंसलर की सहायता लेने की प्रवृत्ति बढ़ी है |

 इस उम्र में थेरेपिस्ट की मदद से माता-पिता किशोर वर्ग को अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए और एक सफल व्यक्तित्व का निर्माण करने में मदद करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं |

किशोरावस्था की आम समस्याएं

  1. पीयर प्रेशर

एक किशोर इस उम्र में सबसे ज्यादा अपने पियर ग्रुप यानी कि अपने हमउम्र लोगों के रहन-सहन और उनकी जीवनशैली से प्रभावित होता है | एक किशोर हमेशा अपने पियर ग्रुप के साथ हमेशा तालमेल बिठाकर रखना चाहता है ताकि उसे अपने समूह के अंदर बराबरी का दर्जा मिल सके |

  1. व्यवहार संबंधी समस्याएं

    1. डिप्रेशन

किशोरावस्था में कई बार ऐसा देखने में आता है कि इस उम्र के बच्चे काफी चिड़चिड़ा व्यवहार करते हैं | या फिर कई बार किसी भी कार्य को करने के दौरान उदास या दुखी रहते हैं | जिसकी वजह अपनी पढ़ाई लिखाई है स्कूल के माहौल से उत्पन्न तनाव भी हो सकता है |

  1. एंजायटी

किशोरावस्था में एंजायटी अलग-अलग प्रकार से हो सकती है | कुछ किशोरों में एंजायटी का स्तर काफी तीव्र होता है और कुछ में काफी कम | यह एंजाइटी अपने आसपास के माहौल में हो रहे नकारात्मक परिवर्तनों को लेकर हो सकती है | इनसाइटी की मुख्य वजह किसी चीज को लेकर डर होता है | 

जैसे किसी बीमारी का डर या फिर अपने किसी प्रिय को खो देने का डर | 

  1. आत्मविश्वास की कमी

 किशोरों में आत्मविश्वास की कमी कई कारणों से आ सकती है |

कई बार परीक्षा में अच्छे नंबर ना आने या खेलकूद से संबंधित गतिविधियों में खराब प्रदर्शन करने पर, अपने किसी सहपाठी या मित्र के द्वारा गलत व्यवहार किए जाने पर ,किसी बात पर अपने समूह में मजाक बन जाने पर |

या फिर रिलेशनशिप के टूट जाने पर |


  1. थकान


  गलत दिनचर्या , खराब आदतों और खराब जीवनशैली के कारण किशोरावस्था में थकान एक सामान्य शारीरिक समस्या बनता जा रहा है | इस उम्र में सामान्यतया किशोर देर रात तक जागना, इंटरनेट और सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग करना , एक्सरसाइज और स्वस्थ आदतों से अपने आप को दूर रखना ऐसी गलतियां कर बैठते हैं जिसकी वजह से उनके व्यवहार में चिड़चिड़ापन और किसी कार्य में रुचि ना आने जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं |

  1. हार्मोन में होने वाले बदलाव

किशोरावस्था वह अवस्था होती है | जहां पर किशोर शारीरिक और मानसिक रूप से विकसित होने की अवस्था में आते हैं | शारीरिक विकास से अर्थ यहां पर उनमें होने वाले में प्यूबर्टी  परिवर्तनों से हैं |

लड़कियों में मासिक धर्म शुरू होने के साथ-साथ  कई सारे ऐसे शारीरिक परिवर्तन आते हैं जिन्हें समझना उनके लिए शुरुआती दौर में आसान नहीं होता | इसी तरह लड़कों में भी अपने विपरीत सेक्स के प्रति आकर्षण होना और सेक्सुअल हारमोंस का उतार चढ़ाव कई प्रकार के मानसिक और शारीरिक परिवर्तनों को लगता है |


थेरेपिस्ट की आवश्यकता क्यों है ?

 “अभी हाल ही में अखबार में प्रकाशित एक खबर के अनुसार एक 16 साल की युवती ने अपनी मां की हत्या कर दी सिर्फ इसलिए क्योंकि उसे अपनी मां के द्वारा पढ़ाई को लेकर बार-बार रोका जाता था और इस बात को लेकर हुई युवती इतना ज्यादा तनाव में आ गई कि उस तनाव के चलते उसने अपने ही हाथों से अपनी मां का मर्डर कर दिया”

एक दूसरी खबर के अनुसार 12 साल के बच्चे ने अपने से कम उम्र के छोटी क्लास के 1 बच्चे की स्कूल के टॉयलेट में ले जाकर हत्या कर दी कारण सिर्फ यह था कि उस बच्चे के एग्जाम में अच्छे नंबर नहीं आए थे और वह चाहता था कि किसी भी वजह से स्कूल में छुट्टी कर दी जाए ताकि उसे अपनी टीचर से डांट ना पड़े”


यह कुछ ऐसे उदाहरण है | जिन्हें देखकर हम इस बात को बड़ी आसानी से समझ सकते हैं कि क्यों किशोरावस्था में एक थैरेपिस्ट या काउंसलर की मदद लेने की आवश्यकता माता-पिता के लिए बढ़ती जा रही है | |

 एक थैरेपिस्ट किशोरावस्था की समस्याओं से जूझ रहे किशोर को उसकी कमजोर मानसिक स्थिति के साथ-साथ उसके शरीर में होने वाले उन परिवर्तनों के बारे में भी सही तरीके से मार्गदर्शन दे सकता है |

 जिनकी वजह से किशोर अपने दैनिक जीवन में कई प्रकार से परेशानी का अनुभव कर रहा है  |

थेरेपिस्ट के सामने किशोर अपने मन में चल रहे उन विचारों को सामने रख सकते हैं जिनके बारे में वह अपने माता-पिता या अपने दोस्तों के सामने बात करने में संकोच का अनुभव करते हैं |

सेक्सुअल रेफरेंस एक ऐसा विषय है जिसके बारे में थैरेपिस्ट से बात करके किशोर अपने मन में चल रहे उनके सवालों का सही जवाब पा सकते हैं | और इससे संबंधित किसी भी प्रकार की गलत काम को करने से अपने आप को बचा सकते हैं | 

थेरेपी की मदद लेकर डिप्रेशन, तनाव और एंजाइटी से जूझ रहे किशोरों को उनका आत्मविश्वास वापस लौटने में मदद की जा सकती है |

थैरेपिस्ट अथवा काउंसलर की सहायता से किशोरों में तेजी से बढ़ रही आपराधिक प्रवृत्ति ,आत्महत्या करने की प्रवृत्ति को भी रोका जा सकता है |

 कुछ स्थितियों में ऐसा देखा जाता है कि किशोर अपने माता पिता के गलत रवैए के कारण या माता-पिता के बीच होने वाले लड़ाई झगड़ा और तनाव के कारण अपने आपको काफी अकेला महसूस करते हैं | और अपनी किसी भी परेशानी को अपने माता पिता के साथ साझा नहीं करते | इस स्थिति में एक थैरेपिस्ट किशोर के मनोबल को बढ़ाने का काम करता है |

सारांश 

किशोरावस्था में एक माता पिता के लिए बेहद आवश्यक हो जाता है, अपने बच्चों के सामने हर तरह से सही उदाहरण और सही व्यवहार  को प्रदर्शित करना |

 माता पिता के तलाक, उनके झगड़ों और परिवार के क्लेश युक्त वातावरण का सर्वाधिक प्रभाव किशोरावस्था के बच्चों पर पड़ता है |《क्योंकि इस अवस्था में बच्चों का दिमाग सही और गलत चीजों में अंतर करने के लिए तेजी से काम करता है| इस उम्र में उनके सोचने समझने की शक्ति बढ़ती है |

किशोरावस्था में सामाजिक, राजनीतिक विषयों की तरफ भी रुझान बढ़ने लगता है | इसका अर्थ यह हुआ कि किशोरावस्था में व्यक्ति का मस्तिष्क सक्रिय तरीके से  कार्य करता है और इसलिए उसे सही दिशा निर्देशों की बेहद जरूरत होती है |

 किशोरावस्था में शारीरिक परिवर्तन होने के कारण विपरीत सेक्स के प्रति आकर्षण होना एक सामान्य बात है | इस स्थिति में माता-पिता की जिम्मेदारी बनती है कि वह अपने बच्चों के साथ दोस्ताना रवैया अपनाएं | और जरूरत पड़ने पर थेरेपी या काउंसलर की मदद से उन्हें जीवन में सही तरीके से आगे बढ़ने में मदद करें |

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