Teenage mein Depression ?- किशोरावस्था में अवसाद क्या है?


डिप्रेशन जिसे अवसाद या मानसिक तनाव भी कहा जाता है, एक सर्वे के अनुसार पुरी दुनिया में ३.४%, मतलब करीब २६,४०,०००/- लोग इस बिमारी से पीड़ित है जिसमे १०-२०% वर्ग  १० से १९ वर्ष के उम्र के किशोरों की है जिन्हें टीनेजर भी कहा जाता है किशोरावस्था एक अनूठा और प्रारंभिक समय होता है गरीबी, दुर्व्यवहार, या हिंसा के संपर्क सहित कई शारीरिक, भावनात्मक और सामाजिक परिवर्तन किशोरों को मानसिक स्वास्थ्य समस्याओ के प्रति संवेदनशील बना सकते हैकिशोरावस्था के वर्षो में होने वाले डिप्रेशन एक किशोर को किस हद तक प्रभावित कर सकते है जिसका हम में से कितनो को एहसास भी नहीं होताडिप्रेशन उनके विचार, समझ और व्यव्हार को प्रभावित करता है। यह अनुमान लगाया गया है की जीवन के सभी क्षेत्रो में पांच में से एक किशोर डिप्रेशन से पीड़ित है सहकर्मी दबाव, शैक्षणिक अपेक्षाए, और बदलते शरीर जैसे मुद्दे किशोरों के लिए बहुत उतार-चढाव ला सकते है लेकिन कुछ किशोरों के लिए ये उतार – चढाव एक अस्थायी भावना से कही अधिक होती है हो डिप्रेशन का एक लक्षण है। किशोरों में डिप्रेशन के वैसे कई कारन है,’’


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शैक्षणिक कारण :-

टाइम्स ऑफ़ इंडिया के मुताबिक स्कूल में अच्छा प्रदर्शन करने का दबाव किशोरों के आत्महत्या करने के बढ़ते स्तर का एक मुख्य कारन है और ये दबाव उनके शिक्षको द्वारा नहीं लेकिन उनके माता-पिता के तरफ से होता है। निम्न शैक्षणिक उपलब्धि, उनके ग्रेड पर अपर्याप्तता, ख़राब प्रदर्शन, सह-पाठ्यक्रम गतिविधिया, उनकी शैक्षणिक उपलब्धि के सम्बन्ध में अभिभावकों की अपेक्षाए, शिक्षको का असभ्य व्यव्हार मुख्य शैक्षणिक करक है जो किशोरावस्था में डिप्रेशन का कारन बनते है। पूर्व केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा है के छात्रो में अचानक आई हुई आत्महत्या की तेजी, अपने साथियों के पीटने के लिए बच्चे पर बढ़ते अभिभावकों के दबाव का ही एक परिणाम है। 


शारीरिक कारण :-

हृदय रोग, पीठ दर्द, और कैंसर जैसी शारीरिक बीमारी के फलस्वरूप डिप्रेशन हो सकता है। पिट्युटरी क्षति को अक्सर सर की छोटो का अनुसरण करती है वो भी डिप्रेशन का कारण होती है। दुर्घटनाये, शारीरिक विकृति भी किशोरों में डिप्रेशन का कारन होती है जो किशोरों की भावनाओं को बुरी तरह प्रभावित करती है। किशोरावस्था के दौरान सामान्य शारीरिक परिवर्तन जैसे मासिक धर्म की शुरुआत, निश्चय उत्सर्जन, और मुंहासे भी डिप्रेशन का कारण बनते है। 

सामाजिक कारण :-

किशोरों को एक बड़े पैमाने पर बाहरी दुनिया के साथ संपर्क करने और उनके स्थापित करने की आवश्यकता विकसित होती है। अगर उन्हें लगता है के वे अपने दोस्तों या अन्य समुदाय के सदस्यों द्वारा अस्वीकार कर दिए गए है तो वे खुद को बेकार और अकेला महेसुस करने लगते और उनको डिप्रेशन होने लगता है। पारिवारिक समस्याए, प्रेम में अस्वीकृति, माता-पिता के बीच झगडा, कामकाजी माता-पिता जो अपने बच्चो की किशोरावस्था के समय को ठीक से नहीं समझ पाते, दोस्तों के साथ समझिक स्थिति, यौन अभिविन्यास, एक विशेष लिंग के किशोर पर अधिक महत्व, और अन्य कई जीवन बदलती घटनाओ के कारन किशोरों को डिप्रेशन हो सकता है। कभी कभी आसपास के तनाव भरे पर्यावरण से भी किशोरों को डिप्रेशन हो सकता है। 


मानसिक कारण :-

किशोरावस्था में एक किशोर को कई शारीरीक और मानसिक परिवर्तनो से गुजरना पड़ता है और उसके सम्बन्ध में वो अपनी  कुछ इच्छाओ को पूरा करने का आग्रह रखते है जो उस किशोर के लिए उस अवस्था में अद्वितीय होती है। जैसे के, “स्वाभिमान की आवश्यकता, आत्म जागरूकता की आवश्यकता, आज़ादी की ज़रूरत, आत्म-आश्वासन की ज़रुरत, अज्ञात को जानने की जिज्ञासा, यौन सम्बन्ध की जिज्ञासा,” और जब ये ज़रूरते पूरी नहीं होती तब उनमे डिप्रेशन जनम लेता है। कभी-कभी माता-पिता या किसी करीबी दोस्त की आकस्मिक मृत्यु किशोर को भावनात्मक रूप से तोड़ देती है जो डिप्रेशन का कारन बनती है। 

अध्ययन बताते है के डिप्रेशन आमतौर पर उदासी या दुःख से जुडा होता है लेकिन ये चिंता, तनाव और ख़राब नींद के कारन भी हो सकता है। किशोरावस्था के दरमियाँ हार्मोन में हो रहे बदलाव के कारन भी डिप्रेशन हो सकता है ।

डिप्रेशन में किशोर के व्यवहार और विचार में कई प्रकार के परिवर्तन भी देखे जाते है जिसे हम उनमें डिप्रेशन के लक्षण भी कह सकते है - 


भावनात्मक लक्षण :-

  • आशाहीन महसूस करना,
  • चिडचिडा या गुस्सेल मिज़ाज,
  • सामान्य गतिविधियों में रुचि का चले जाना,
  • परिवार या दोस्तों के साथ मिलनसार न होना या उनके साथ छोटी छोटी बात पर भी उलझ जाना,
  • उदासी की भावना, जिसमे बिना किसी स्पष्ट कारण के रोना भी शामिल है,
  • छोटी छोटी बातों पर भी गुस्सा हो जाना,
  • आत्म-सन्मान कम हो जाना,
  • मिली हुयी असफलताओ पर स्वदोष या अति-आलोचक व्यवहार,
  • परेशानी भरे विचार आना, ध्यान केंद्रित करने में, निर्णय लेने में और चीजों को याद रखने में असमर्थ होना,
  • अपने आप को व्यर्थ मान लेना या अपराधबोध की भावना का होना,
  • अस्वीकृति या विफलता के लिए अधिक संवेदनशील होना,
  • जीवन और भविष्य को अंधकारमय सोचने लगना,
  • लगातार मौत और आत्महत्या के विचार आना,

व्यावहारिक लक्षण :-

  • थकान और ऊर्जा की हानि,
  • भूख में बदलाव – भूख में कमी और वजन में कमी, या अचानक भूख और वज़न का बढ़ना,
  • बेचैनी महेसुस करना,
  • नींद ना आना या बोहोत ज़यादा नींद आना,
  • शराब या नशीले पदार्थों का सेवन,
  • व्यक्तिगत स्वच्छता या उपस्थिति पर कम ध्यान देना, 
  • गुस्सा होना, जोखिम भरा व्यवहार करना,
  • आत्म-नुकसान करना जैसे के नस काट लेना, खुद को तकलीफ देना,
  • आत्महत्या करने की योजना बनाना या प्रयास करना, 


डिप्रेशन का इलाज ना करना कई भावनात्मक, व्यावहारिक और स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का परिणाम हो सकता है जो किशोर के जीवन के हर क्षेत्र को प्रभावित करता है। किशोर के डिप्रेशन में कई जटिलताये भी आ सकती है जिसमे, 

  • शराब और नशीली दवाओं का दुरुपयोग
  • शैक्षणिक समस्या
  • परिवार में टकराव और रिश्तों में मुश्किलें
  • किशोर न्याय प्रणाली के साथ भागीदारी
  • आत्महत्या का प्रयास या आत्महत्या
  • शामिल है।


अगर डिप्रेशन के लक्षण जारी रहते है और दिन प्रतिदिन बढ़ने लगते है तो उसके इलाज के लिए किसी प्रशिक्षित डॉक्टर या मानसिक स्वास्थ्य के पेशेवर से बात करे। डिप्रेशन के लक्षण अपने आप ठीक नहीं होते और इलाज न होने पर वो और समस्याओ को जन्म दे सकते है। डिप्रेशनग्रस्त किशोरों को आत्महत्या का खतरा हो सकता है भले ही उनके लक्षण गंभीर हो या न हो। 


डिप्रेशन को रोकने का कोई निश्चित तरीका नहीं है लेकिन कुछ तरीके ऐसे है जो काम आ सकते है, तनाव को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाये, अपनी समस्याओं को अपने मित्र या परिवार से साझा करें, डिप्रेशन के शुरुआती संकेतों से ही अपना इलाज करवाना शुरू कर दे, खुश रहे, लोगों के बीच रहे,   

डिप्रेशन एक मानसिक बिमारी है जिसका इलाज किया जा सकता है और सही चिकित्सा के साथ आप इसे दूर कर सकते है । किशोरों में हो रही डिप्रेशन की समस्या उनकी उम्र के साथ ही बढती जाती है लेकिन सावधान अवलोकन, किशोर के साथ उनकी समस्याओ के बारे में खुली चर्चा, स्नेही और मैत्रीपूर्ण व्यव्हार से स्थिती को सुधार जा सकता है। दावा के साथ मनोचिकित्सा का संयुक्त उपचार डिप्रेशन वाले अधिकांश किशोर का प्रभावी रूप से इलाज कर सकते है। बचपन से किशोरावस्था की तरफ हो रहे किशोर के बदलाव को शिक्षक और माता-पिता मिलकर सफल होने में मदद कर सकते है । उन्हें डिप्रेशन से बचने के लिए किशोरावस्था के व्यवहारगत बदलावों का अवलोकन करना चाहिए और इससे हम उन्हें डिप्रेशन से होने वाली मौत के जबड़ो से छुड़ा सकते है । 


https://www.bbrfoundation.org/research/depression//

https://www.stanfordchildrens.org/en/topic/default?id=understanding-teenage-depression-1-2220



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