How to manage stress and anxiety in teenagers_किशोरों में तनाव और चिंता

 किशोरों में तनाव और चिंता


किशोरावस्था एक ऐसी उम्र होती है | जिसमें एक व्यक्ति बचपन और वयस्क के बीच होने वाले शारीरिक और मानसिक परिवर्तनों को महसूस कर रहा होता है | जैसा कि हम सभी जानते हैं किशोरावस्था में शारीरिक और मानसिक दोनों ही प्रकार के परिवर्तन बहुत तेज गति से होते हैं | एक तरफ जहां शरीर अपने आप को हार्मोन में होने वाले परिवर्तनों के साथ व्यवस्थित करने में लगा होता है || वहीं दूसरी तरफ कई प्रकार के तनाव और चिंताएं मानसिक तनाव और चिंताओं का कारण बन जाती है |

किशोरावस्था को मनुष्य के जीवन की एक चुनौती पूर्ण अवस्था माना जाता है | क्योंकि इस समय व्यक्ति अपने परिवार, समाज, दोस्तों के समूह के साथ व्यवहार करने का तरीका और उनके साथ सामंजस्य बिठाना सीख रहा होता है |  सही परवरिश और सहयोग मिलने पर इस अवस्था में व्यक्ति का व्यवहार एक सही दिशा की ओर गतिमान होता है | लेकिन इसके विपरीत अगर उसे सही वातावरण और स्वास्थ्य पारिवारिक माहौल ना मिले तो उसके मानसिक और शारीरिक दोनों ही प्रकार के विकास में बाधा आ सकती है |

मनोविज्ञान के अनुसार किशोरावस्था में एक व्यक्ति अपने आप ही सामने आने वाली चुनौतियों स्वीकार करना और उनके हिसाब से अपने आपको अनुकूल बनाना सीख जाता है | लेकिन कई बार एक सीमा से ज्यादा नकारात्मक परिस्थितियों के संपर्क में रहने के कारण एक किशोर को तनाव और चिंता जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है | और यह उसके जीवन पर एक नकारात्मक प्रभाव डालते हैं | इससे व्यक्ति के सही विकास में बाधा आती है | और उसके आने वाला जीवन काफी हद तक प्रभावित होता है |



किशोरों में तनाव और चिंता के प्रमुख कारण

  1. पढ़ाई को लेकर तनाव

 किशोरों में तनाव और चिंता का जो प्रमुख कारण सबसे ज्यादा सामने आता है वह है पढ़ाई को लेकर होने वाला तनाव |  किशोरावस्था में व्यक्ति के सामने अच्छे नंबर लाना, स्कूल में अपने आप को एक आदर्श विद्यार्थी के रूप में प्रदर्शित करना ,परीक्षा में अच्छे नंबरों से पास होना ,अगर किसी खेलकूद गतिविधि में शामिल है तो उसमें जितना |

किसी महत्वपूर्ण परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करने को लेकर तनाव | कुछ ऐसे कारण हैं जो लगभग 70% किशोरों में सामान्य रूप से पाए जाते हैं | लेकिन मनोविज्ञान के अनुसार धीरे-धीरे किशोर इन सभी तनाव और चिंताओं से अपने आप को बाहर निकालना सीख जाता है |


  1. जिम्मेदारियों को लेकर तनाव 

अक्सर कर यह देखने में आता है कि एक किशोर के साथ अपने माता पिता और परिवार के द्वारा एक समय पर एक छोटे बच्चे की तरह व्यवहार किया जाता है ,वही दूसरे समय पर उससे यह उम्मीद की जाती है कि उसके व्यवहार में परिपक्वता दिखाई दे |

 इन दोनों अवस्थाओं के मध्य एक किशोर काफी उलझन में रहता है | और उसे अपनी जिम्मेदारी की सही मतलब को समझने में परेशानी आती है|  यह भी किशोरावस्था की एक बहुत बड़ी चुनौती है जिसके साथ प्रत्येक किशोर आसानी से सामंजस्य नहीं बिठा पाता | यहां पर एक माता-पिता के लिए यह समझना बेहद आवश्यक है कि वह अपने किशोर बच्चे को उसके सभी जिम्मेदारियों के बारे में समझा सके |


  1. प्राइवेसी को लेकर तनाव

 जैसा कि किशोरावस्था को एक शारीरिक परिवर्तन वाली अवस्था माना जाता है|  इसलिए इस उम्र में एक किशोर को अपने लिए प्राइवेसी की जरूरत महसूस होने लगती है | हार्मोन में बदलाव भी इसकी एक बड़ी वजह है| कुछ देर के लिए अकेला रहना, अपने लिए एक निजी वातावरण की चाह रखना, किशोरों में आम बात है | अगर माता पिता और परिवार के द्वारा एक किशोर को उसकी जरूरत के अनुसार प्राइवेसी प्रदान नहीं की जाती तो इस अवस्था में उसके मन में अपने लिए प्राइवेसी को लेकर तनाव उत्पन्न होना सामान्य बात होती है |


  1. रिलेशनशिप का तनाव 

बढ़ती हुई उम्र में विपरीत सेक्स के प्रति आकर्षण एक सामान्य बात है | शरीर में होने वाले परिवर्तनों की वजह से किशोरावस्था में व्यक्ति को विपरीत सेक्स से आकर्षण होने लगता है | और उसके मन में एक प्रेम पूर्वक संबंधों की चाह बढ़ने लगती है | इस अवस्था में रिलेशनशिप में आने वाले उतार-चढ़ाव को लेकर किशोरों के मन में सदैव एक चिंता बनी रहती है | इस प्रकार के रिलेशनशिप के अलावा अपने माता पिता के साथ संबंधों में मतभेद होना किशोरावस्था में सामान्य बात होती है | माता पिता के साथ विचारों में होने वाले विरोधाभास के कारण कई बार किशोरों को अपने पारिवारिक माहौल में सामंजस्य बिठाने में कठिनाई का अनुभव होता है |

माता-पिता को अपने किशोर बच्चों को उनकी बात रखने का मौका देना चाहिए ताकि वह अपने विचारों को खुलकर व्यक्त कर सकें |


किशोरों में तनाव और चिंता को किस प्रकार दूर किया जा सकता है 

इसका सबसे पहला और सबसे बेहतर तरीका यह है कि आपको अपने किशोर उम्र के बच्चों के साथ उनकी चिंता और उनके तनाव के विषय में बात करनी चाहिए | आपको उन्हें यह सिखाना चाहिए कि किसी भी प्रकार का तनाव होने पर किस तरह से उसका सामना किया जाए | और चिंता या तनाव होने की स्थिति में अपने मन को किस प्रकार शांत रखा जाए |¤माता पिता के द्वारा बच्चों से की गई बातचीत से किशोरों में तनाव और चिंता को काफी हद तक दूर किया जा सकता है | क्योंकि यह एक मनोवैज्ञानिक तरीका है जिसमें बच्चे को अपना तनाव दूर करने में काफी मदद मिलती है | 

एक दूसरा तरीका यह हो सकता है कि आप अपने बच्चे के साथ अपनी किशोरावस्था के अनुभवों को साझा करें | उन्हें बताएं कि जब आप इस उम्र से गुजर रहे थे तो आप कैसा महसूस करते थे | और तनाव होने की स्थिति में आपने किस प्रकार उसे दूर करने के उपाय किए | अपने मन को दूसरी तरफ लगाकर तनाव और चिंताओं से मुक्त होना जिस तरह आपने सीखा था उसी तरह आप अपने बच्चे को भी यह सिखा सकते हैं |

कई दफा ऐसा होता है कि किशोरों में तनाव और चिंता का कारण कोई बेहद सामान्य या ऐसी वजह होती है | जिसका वास्तव में कोई अस्तित्व ही नहीं होता | इस स्थिति में माता-पिता की जिम्मेदारी बनती है कि वह उन्हें सही और गलत में फर्क करना सिखाए | उन्हें समझना सिखाएं की किस बात के बारे में उन्हें सोच विचार करना चाहिए | और किस बात के बारे में  नहीं |

तनाव और चिंता को दूर करने के लिए आप अपने बच्चों को योगा ,व्यायाम ,सही तरीके से नींद लेना ,सोशल मीडिया से दूरी बनाए रखना, अच्छी किताबें पढ़ना उनकी जो भी रुचि और शौक है उसमें अधिक से अधिक समय व्यतीत करना| इस तरह के तरीकों के बारे में भी बता सकते हैं | यह कुछ इस तरह के उपाय होते हैं जिनसे व्यक्ति का मन चिंता और तनाव से हटकर दूसरी चीजों में लगा रहता है |और वह अपने आप को खुश और स्वस्थ महसूस करता है | आप  अपने किशोर बच्चों के साथ उनके मनपसंद खेल खेल कर ,  उनके साथ किताब पढ़ कर, कुछ समय उनके साथ व्यतीत करके, उनकी चिंता और तनाव दोनों को ही दूर कर सकते हैं |

 कई बार ऐसा देखा जाता है कि सही समय पर मार्गदर्शन और मदद ना मिलने की स्थिति में किशोरों का तनाव और चिंता एक सीमा से अधिक बढ़ जाते हैं | और ऐसी अवस्था में परिवार और माता-पिता के द्वारा उपचार करना कठिन हो जाता है| इस स्थिति में एक मनोचिकित्सक की मदद लेना सबसे बेहतरीन उपाय है | मनोचिकित्सक आपके किशोर को ना सिर्फ अपने तनाव को दूर करने के तरीके सिखाते हैं | बल्कि साथ ही उनके सही 

व्यवहारात्मक विकास में उनकी मदद भी करते हैं |


आजकल कई स्कूल में बच्चों के लिए स्कूल काउंसलर की व्यवस्था भी उपलब्ध करवाई जाती है जो कि किशोर बच्चों के लिए एक बेहद ही लाभप्रद सुविधा है | माता-पिता स्कूल काउंसलर की मदद से भी अपने बच्चों के तनाव और चिंताओं को दूर करके उनके स्वस्थ और खुशहाल जीवन बनाए रखने में उनकी मदद कर सकते हैं और एक बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकते हैं |


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