What is panic attack and panic disorder ? - पैनिक अटैक और पैनिक डिसऑर्डर?

 पैनिक अटैक और पैनिक डिसऑर्डर


हर एक व्यक्ति की सोच का अलग दायरा होता है| व्यक्ति का  स्वभाव और मानसिक स्थिति सभी कुछ व्यक्ति की सोच पर निर्भर करता है |किसी के लिए परिवार महत्वपूर्ण होता है तो किसी के लिए समाज और आसपास के परिवेश के लोग, किसी के लिए घर के लोगों की खुशी मायने रखती है, तो किसी के लिए ऑफिस में अपना हंड्रेड परसेंट परफॉर्मेंस |ऐसे में वर्कहोलिक व्यक्ति के लिए परिवार में घटित छोटी मोटी घटना का कोई अस्तित्व नहीं होता है, तो कोई व्यक्ति जो अपने परिवार से काफी जुड़ाव महसूस करता है उसके लिए परिवार में घटित छोटे से हादसे को बड़ा रूप देकर अपने मन में एक डर बैठा लेता है|

पैनिक अटैक और पैनिक डिसऑर्डर


 व्यक्ति की सोच कर डर ही उसके मन में चिंता और डिप्रेशन की भावना को जन्म देता है |जब चिंता की भावना मन में गहरे बैठ जाती है तो व्यक्ति पैनिक डिसऑर्डर की चपेट में आ जाता है |ऐसे में व्यक्ति का डर बढ़ने लगता है और उसे अपनी साधारण की समस्या का भी कोई हल नजर नहीं आता और वह छोटी-छोटी बात पर घबराने लगता है| उसका आत्मविश्वास कम होने लगता है यह स्थिति पैनिक डिसऑर्डर कहलाती है| पहले के समय में पैनिक डिसऑर्डर के बारे में कम सुनने में आता था मगर मौजूदा समय में व्यक्ति की लाइफ स्टाइल और चिंताओं के बढ़ने से पेनिक अटैक और पैनिक डिसऑर्डर के कई मरीज बढ़े हैं कई बार दिल के मरीज डायबिटीज के मरीज में शुगर लेवल कम होने की वजह से और किसी दवा के रिएक्शन से या फिर हार्मोनल डिसऑर्डर अस्थमा धूल मिट्टी से एलर्जी आदि भी कई बार पैनिक अटैक का कारण बनती है .


पैनिक डिसऑर्डर क्या है-

पैनिक डिसऑर्डर एंजायटी डिसऑर्डर का ही एक हिस्सा है |पैनिक डिसऑर्डर एक ऐसी स्थिति है जिसमें इंसान हर वक्त एक डर के माहौल में जीना शुरु कर देता है |ऐसे इंसान को हर दूसरे पल की चिंता मे घबराहट पसीना हाथ पैरों में झनझनाहट सांस लेने में दिक्कत जिसे समस्याओं का सामना करना पड़ता है, सामान्यतः पैनिक अटैक की अवधि 10 मिनट से 1 घंटे तक होती है |आजकल की व्यस्ततम जिंदगी में व्यक्ति इसका अधिक शिकार हो रहा है |

एक अध्ययन में पता चला है कि शहरों में रहने वाली लगभग 30 से 50% व्यक्ति जीवन में कभी ना कभी पेनिक डिसऑर्डर या पैनिक अटैक के शिकार हुए हैं| इस मनोरोग के शिकार व्यक्ति को हर वक्त डर और खौफ सताता रहता है |उसे ऐसा महसूस होता है कि या तो वह या उसके आसपास के लोग किसी बड़ी तकलीफ में आ सकते हैं या बीमारी का शिकार हो सकते हैं |यह सोचते हुए उसका दिल जोरो से धड़कने लगता है सांस लेने में दिक्कत होती है |यह लक्षण कुछ-कुछ हार्टअटैक के जैसे ही होते हैं इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति घर में ही रहना पसंद करते हैं| बाहर की दुनिया में किसी से अपने मन की बात आसानी से नहीं कर पाते है |मन की बात मन के अंदर ही रख कर यह लोग घुटन को महसूस करते हैं |

लाइलाज नहीं है यह मर्ज-

पैनिक अटैक को नियंत्रित करने के लिए कई इलाज उपलब्ध है| जैसे दवाइयां और साइकोथेरेपी आदि इलाज के जरिए निकट से पीड़ित मरीज को 70 से 90% तक राहत आसानी से मिल सकती हैं| 

  • पैनिक अटैक के दौरान आपके शरीर को अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है| इसलिए शरीर अधिक से अधिक ऑक्सीजन प्राप्ति की लिए  जल्दी सांस लेने की कोशिश करता है |प्रथम दृष्टतया यह बहुत अप्रिय स्थिति होती है| मगर इसमें घबराने जैसी कोई बात नहीं होती, क्योंकि कई घरेलू उपचार की मदद से प्रभावी ढंग से पैनिक अटैक के लक्षणों से राहत पाई जा सकती है|
  • रोजाना करे बदाम का सेवन- आयुर्वेद के अनुसार बादाम में पोटेशियम, कैल्शियम,मैग्नीशियम जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व और मिनरल भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं| इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट हमारे नर्वस सिस्टम को सुधार कर हमारे मस्तिष्क को शांत रहने में मदद करता है|
  • अपनाए ग्रीन टी का जादू- ग्रीन टी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और पॉलिफिनॉल्स दिमाग के तनाव को कम कर कर मस्तिष्क की कोशिकाओं और ऊतकों को शांत करता है| इसमें मौजूद मोनोमाइन  ऑक्सीडेस मस्तिष्क में तनाव का असर कम करता है|
  • संतरा करें मूड फ्रेश- हम सभी यह बात अच्छे से जानते हैं कि संतरे में कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं| विटामिन सी से भरपूर होने के कारण संतरे का सेवन करने से ब्लड प्रेशर तो कंट्रोल होता ही है, और साथ में यहां पैनिक अटैक को कम करने में भी मदद करता है| संतरे में मौजूद विटामिन सी और अन्य मिनरल्स न्यूरॉन्स को शांत करने में मदद करते हैं| 
  • कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी- इस थेरेपी के इस्तेमाल में दवाओं के सेवन से पैनिक अटैक का इलाज किया जाता है| इलाज की विधि का चयन व्यक्ति की जरूरत और प्राथमिकता के मुताबिक किया जाता है| दवाइयों के साथ साइकोथेरेपी देने से जल्दी राहत मिलती है|
  • नशे से बनाएं दूरी- पैनिक अटैक या पैनिक अटैक के लक्षणों के दौरान मरीज को शराब और किसी अन्य नशीले पदार्थ जैसे कि कॉफी या कैफीन का सेवन नहीं करना चाहिए |क्योंकि यह पदार्थ शरीर में पैनिक अटैक के लिए ट्रिगर का काम करते हैं|
  • फोबिया से बचे- यदि आप पहले भी पैनिक अटैक या पैनिक डिसऑर्डर के शिकार हो चुके हैं, तो इस बात का ध्यान रखें कि आपको किस सिचुएशन में पैनिक अटैक आया था |क्योंकि जिस परिस्थिति में व्यक्ति को पैनिक अटैक आता है वह उस व्यक्ति के मन में उस परिस्थिति के लिए डर बैठ जाता है| उसे लगने लगता है कि वह दोबारा उस परिस्थिति का सामना करेगा तो उसे दोबारा का सामना करना पड़ सकता है| इस भय को अग्रिम बेचैनी  कहते हैं| यह व्यक्ति के लाइफस्टाइल को बहुत प्रभावित करता है |और उसके मन में इन सब बातों को लेकर डर या फोबिया बैठ जाता है इससे बचने के लिए आप अपने भीतर आत्मविश्वास बढ़ाएं और दोबारा उस परिस्थिति का सामना करने के लिए तत्पर रहें| ताकि परिस्थिति का सामना करने पर आप के मन में उस परिस्थिति को लेकर भय निकल जाता है| और भय या चिंता निकलने के बाद पैनिक अटैक की संभावना कम हो जाती है|

पैनिक अटैक के दौरान करने वाले उपाय-

व्यक्ति की सावधानी और सतर्कता के बावजूद कई बार उसे पैनिक अटैक का सामना करना पड़ जाता है| ऐसे में जब भी आपको कभी अचानक से घबराहट होने लग जाय या फिर चक्कर आने लगे तब गहरी सांस लेना शुरू कर दे |नाक से जल्दी-जल्दी सास उसके बाद सास को थोड़ा सा रुक काफी लंबी सांस लें| ऐसा करने से ऑक्सीजन लेवल कंट्रोल में आने लगता है और व्यक्ति बेचैनी घबराहट की स्थिति में नहीं पहुंचता है| और खुद पर कंट्रोल आसानी से पा लेता है |मन में आ रहे नकारात्मक विचारों को खुद से दूर कर दे |पैनिक अटैक और हार्ट अटैक दोनों की सिचुएशन एक जैसे होने पर कई बार लोग इसे हार्टअटैक समझ लेते हैं और ऐसी स्थिति में परेशानी कम होने के बजाय और बढ़ने लगती हैं |इसलिए जब कभी आपको लगे कि आप पैनिक अटैक की अवस्था में पहुंचने वाले हैं तो अपने आसपास किसी को तुरंत सूचना दें और उनकी मदद लेने से ना कतराए| इन सब उपायों के बावजूद यदि आपको बार-बार पैनिक अटैक का सामना करना पड़ रहा है ,तो आपको किसी विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लेनी चाहिए| विशेषज्ञ की देखरेख में आप पैनिक डिसऑर्डर और अटैक की सिचुएशन से आसानी से बाहर निकल सकते हैं|


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